ख़ुदा बन कर ख़ुदाई को भी वो बर्बाद करते हैं
ख़ुदा बन कर ख़ुदाई को भी वो बर्बाद करते हैं
सितम ईजाद हैं ये बुत सितम ईजाद करते हैं
तुम्हारे चाहने वाले शब-ए-ग़म याद करते हैं
कभी शेवा कभी नाले कभी फ़रियाद करते हैं
ख़याल-ए-ग़ैर में जाने का शिकवा क्यूँ न हो मुझ को
मिरे दिल में जो रहते हैं मुझे बर्बाद करते हैं
मिरी नज़रों में फिरते हैं मिरे दिल में समाते हैं
मुझे आबाद करते हैं मुझे बर्बाद करते हैं
धड़कना दिल का तहरीक-ए-फ़ुग़ाँ से ज़ब्त में मुझ को
समझता हूँ कि हज़रत फिर वही इरशाद करते हैं
तजाहुल हो कि शोख़ी हो तग़ाफ़ुल हो नहीं सकता
मुझी को पूछते हैं वो मुझी को याद करते हैं
जनाब-ए-'इश्क़ ख़ुद तो ख़ाना-बर्बाद के बा'इस हैं
'अता मुझ को ख़िताब-ए-खानमा बर्बाद करते हैं
मिरी तुर्बत और दामन बचाए नाज़ से चलना
मुझे वो ख़ाक समझे जो यूँ बर्बाद करते हैं
सितारे झिलमिला जाएँगे मुँह-फ़क़ चाँद सा होगा
'क़मर' ना-हक़ 'अयाँ दाग़ ना-शाद करते हैं
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