कहाँ है ला-मकाँ में दर-ब-दर अल्लाह ही अल्लाह है
कहाँ है ला-मकाँ में दर-ब-दर अल्लाह ही अल्लाह है
ख़ुदाई में हर इक फ़र्द-ए-बशर अल्लाह ही अल्लाह है
अहद से जो बना अहमद उसी का नाम है वाहिद
हमारा इक यही पैग़ाम्बर अल्लाह ही अल्लाह है
अबू-बक्र और 'उस्मान हैं ख़ुदा नज़्दीक 'आरिफ़ के
'अली अल्लाह ही अल्लाह है 'उम्र अल्लाह ही अल्लाह है
खुला नूरुस्समावत की आयत से यही 'उक़्दा
कि ज़ेर अल्लाह ही अल्लाह और ज़बर अल्लाह ही अल्लाह है
ख़याल-ए-सूरत-ए-वल्लैल वल-फ़ज्र अब जो रखते हैं
हमारे पास हर शाम-ओ-सहर अल्लाह ही अल्लाह है
समझ कर मा’ना-ए-आ-मंतु-बिल्लाह अब ये कहता हूँ
है ख़ैर अल्लाह ही अल्लाह और शर अल्लाह ही अल्लाह है
यही पीर-ए-मुग़ाँ या-क़ाबिज़ पढ़-पढ़ के कहता है
है नार अल्लाह ही अल्लाह और शर अल्लाह ही अल्लाह है
है मुतलक़ नाम उसी का सब जहाँ में क़ाज़ी-उल-हाजात
है सीम अल्लाह ही अल्लाह और ज़र अल्लाह अल्लाह ही है
निहाल-ए-गुलशन-ए-हस्ती उगा है पढ़ के ये कलिमा
शजर अल्लाह ही अल्लाह है समर अल्लाह ही अल्लाह है
यही कहता था आज़र ख़ुद बना कर बुत को हाथों से
सनम अल्लाह ही अल्लाह है हजर अल्लाह ही अल्लाह है
तजल्ली-ए-जलाली और जमाली से खुली ये रम्ज़
है शम्स अल्लाह ही अल्लाह और क़मर अल्लाह ही अल्लाह है
मज़ा हर इक नफ़स आती है मुझ को जान-ए-जानाँ से
सरापा-ओ-दिल-ओ-ख़ून-ए-जिगर अल्लाह ही अल्लाह है
दुर-ए-शहवार कहता है लगा कर मुँह को कानों से
ज़मुर्रद और याक़ूत-ओ-गुहर अल्लाह ही अल्लाह है
अगर चश्म बसीरत है तो देख अब सारी ख़िल्क़त में
कि हर इक ज़र्रा में ख़ुद जल्वा-गर अल्लाह ही अल्लाह है
तो जिस की दीद का तालिब है तेरी मर्दुमक में वो
समझ ऐ बुल-हवस तेरी नज़र अल्लाह ही अल्लाह है
समुंदर जोश खा-खा कर यही करता है शोर-ओ-ग़ुल
हुबाब-ओ-क़तरा-ओ-मौज और भँवर अल्लाह ही अल्लाह है
बुज़ुर्ग-ओ-ख़िरद का रुत्बा मिलेगा कब हक़ीक़त में
पिदर अल्लाह ही अल्लाह है पिसर अल्लाह ही अल्लाह है
करें हम फ़ैसला अब किस तर्ह शैख़-ओ-बरहमन का
इधर अल्लाह ही अल्लाह उधर अल्लाह ही अल्लाह है
हैं 'आशिक़' उस के हम बंदे हमारा ख़्वाजा-ए-चिश्ती
मु'ईनुद्दीन पीर-ए-राहबर अल्लाह ही अल्लाह है
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