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Sufinama

आँखे हों तेरी याद में नम और ज़्यादा

अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

आँखे हों तेरी याद में नम और ज़्यादा

अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

MORE BYअ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

    आँखे हों तेरी याद में नम और ज़्यादा

    झुक जाए ये दिल सू-ए-हरम और ज़्यादा

    तकता ही रहूँ गुंबद-ए-ख़ज़्रा के मैं जल्वे

    हो जाए जो थोड़ा सा करम और ज़्यादा

    हर वक़्त सजाओगे दरूदों की जो महफ़िल

    सरकार के फिर होंगे करम और ज़्यादा

    बस आया ही जाता है कोई दम में मदीना

    शौक़ उठा अपने क़दम और ज़्यादा

    जब भीड़ बने कोई तो कर याद नबी को

    रखेगा ख़ुदा तेरा भरम और ज़्यादा

    क़ुरआन से है मिलता लक-ज़िक्रुक का इशारा

    लहराएगा आक़ा का 'अलम और ज़्यादा

    लिखता ही रहेगा ना'त 'नियाज़ी' तू नबी की

    अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़्यादा

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-नियाज़ी (पृष्ठ 95)

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