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मेरे दाता के 'उर्स पर आने वालो सुनो आ रही है सदा-ए-बिलाली

अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

मेरे दाता के 'उर्स पर आने वालो सुनो आ रही है सदा-ए-बिलाली

अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

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    रोचक तथ्य

    منقبت درشان داتا گنج بخش حضرت علی ہجویری (لاہور۔پاکستان)

    मेरे दाता के 'उर्स पर आने वालो सुनो रही है सदा-ए-बिलाली

    कोई दम में हैं आने वाले मोहम्मद सजाए हुए दोश पर कमली काली

    उधर मेरे दाता की बारात इधर होती रहमत की बरसात देखो

    सलामी को आए हैं अजमेरी ख़्वाजा ये है मेरे दाता का दरबार-ए-'आली

    वो ख़्वाजा-ए-गंज-ए-शकर भी हैं आए लो कलियर के वो ताजवर भी हैं आए

    हैं बन-ठन के यारों के झुरमुट में देखो मदीने से आए मदीना के वाली

    है कितना हसीं तेरे ज़ीने का नक़्शा है रौज़ा तुम्हारा मदीने का नक़्शा

    तेरी जालियों में नज़र रही है मेरे कमली वाले के रौज़े की जाली

    ख़ुदा-रा निगाह-ए-करम अब तो कर दो फ़क़ीरों के दामन ख़ज़ानों से भर दो

    बड़ी आस लेकर हुज्वैरी दाता खड़े हैं तिरे दर पे तेरे सवाली

    ख़ुदा की है रहमत घटा बन के छाई घड़ी आज मक़बूलियत की है आई

    'नियाज़ी' दु'आ माँगो अपने वतन के चमन की सलामत रहे डाली-डाली

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-नियाज़ी (पृष्ठ 65)

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