मिसाल-ए-मुस्तफ़ा कोई पैग़म्बर हो नहीं सकता
मिसाल-ए-मुस्तफ़ा कोई पैग़म्बर हो नहीं सकता
सितारा लाख चमके मेहर-ए-अनवर हो नहीं सकता
दो रंगी 'आशिक़-ओ-मा'शूक़ में बस हो नहीं सकती
'अह्द का जिस्म और अहमद का साया हो नहीं सकता
ब-जुज़ हुब्ब-ए-मोहम्मद कामिल-ए-ईमाँ हो नहीं सकता
फ़क़त अल्लाह का क़ाइल मुसलमाँ हो नहीं सकता
नमाज़ अच्छी हज अच्छा रोज़ा अच्छा और ज़कात अच्छी
मगर मैं बावजूद इस के मुसलमाँ हो नहीं सकता
फ़िदा जब तक न मैं हो जाऊँ उस माह-ए-मदीना पर
ख़ुदा शाहिद है कामिल मेरा ईमान हो नहीं सकता
तजल्ली ज़ात की है जल्वा-ए-रुख़्सार-ए-अहमद में
हसीं ऐसा कोई अल्लाहु अकबर हो नहीं सकता
'अरब में सब से पहले किस ने तस्दीक़-ए-रिसालत की
सदाक़त में कोई सिद्दीक़-ए-अकबर हो नहीं सकता
परवाने को है चराग़ परवाने को फूल बस
सिद्दीक़ के लिए है ख़ुदा का रसूल बस
अबू-बक्र-ओ-'उमर और हज़रत-ए-'उस्मान और हैदर
कोई उन ख़ासगान-ए-हक़ का हम-सर हो नहीं सकता
नबी के यार और अंसार सब अफ़ज़ल हैं 'आलम में
मगर मिस्ल-ए-'अली कोई बिरादर हो नहीं सकता
चढ़ाया उन को काँधे पर रसूलुल्लाह ने अक्सर
कोई हम-मर्तबा शब्बीर-ओ-शबर हो नहीं सकता
कोई हो मुत्तक़ी या ’आलिम-ओ-ज़ाहिद ज़माने में
मगर आल-ए-मोहम्मद के बराबर हो नहीं सकता
हुआ तू 'अशरफ़ी' मद्ह-ए-सरकार-ए-दो-'आलम का
नसीब का कोई तुझ सा सिकंदर हो नहीं सकता
कभी झूटा ख़ुदा का 'अहद-ओ-पैमाँ हो नहीं सकता
मोहम्मद दोसरा पैदा जहाँ में हो नहीं सकता
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