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शाह फ़रहाद में 'इश्क़ ज़म हो गया

आसिफ़ अहमद वारसी

शाह फ़रहाद में 'इश्क़ ज़म हो गया

आसिफ़ अहमद वारसी

MORE BYआसिफ़ अहमद वारसी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان خواجہ رکن الدین عشق (پٹنہ-بہار)

    शाह फ़रहाद में 'इश्क़ ज़म हो गया

    मोहतरम और भी मोहतरम हो गया

    हासिदो कर रहे हो 'अबस तुम हसद

    उस पे ख़ालिक़ का अपने करम हो गया

    हुस्न-ए-तक़्वा मिला और विलायत मिली

    सर अमीरों का भी दर पे ख़म हो गया

    हक़्क़-ए-ता'ला की रहमत जो हाथ गई

    सारा संसार ज़ेर-ए-क़दम हो गया

    मिस्ल-ए-शमस-ओ-क़मर वो चमकने लगा

    नूरी नूरी वो ख़ाकी सनम हो गया

    इस को इ'श्क़ नबी ने किया मोहतरम

    एक क़तरा था बहर-ए-करम हो गया

    फ़ैज़ हासिल हुआ उस से है इस क़दर

    दूर 'आसिफ़' का अब सारा ग़म हो गया

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