दाता तिरा दरबार है रहमत का ख़ज़ाना
रोचक तथ्य
منقبت در شان داتا گنج بخش حضرت علی ہجویری (لاہور-پنجاب-)
दाता तिरा दरबार है रहमत का ख़ज़ाना
है तेरी सख़ावत का हर इक लब पे तराना
मेरा ही नहीं क़ौल है हर एक वली का
हसनैन का ज़हरा का मोहम्मद का 'अली का
दिन-रात हमें तेरे करम का है सहारा
मंगतों का तिरे कूचे में होता है गुज़ारा
दर है तिरा दुनिया में ग़रीबों का ठिकाना
सदक़ा तिरे दरबार से पाता है ज़माना
है काम तिरा बिगड़े मुक़द्दर को बनाना
अजमेर के ख़्वाजा ने भी दाता तुझे माना
अल्लाह के वलियों में तो वलियों का वली है
तू आल-ए-पयम्बर है तू औलाद-ए-’अली है
लाहौर में रहमत है ख़ुदा की तिरे दम से
'पुरनम' की है हर बात बनी तेरे करम से
- पुस्तक : कुल्लियात-ए-पुरनम (पृष्ठ 160)
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