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मदीने का टिकट कर दो 'अता सरकार-ए-रब्बानी

डाॅ. रऊफ़ ज़िया

मदीने का टिकट कर दो 'अता सरकार-ए-रब्बानी

डाॅ. रऊफ़ ज़िया

MORE BYडाॅ. रऊफ़ ज़िया

    मदीने का टिकट कर दो 'अता सरकार-ए-रब्बानी

    सना-गोई का मिल जाए सिला सरकार-ए-रब्बानी

    ये पाँचों गुल चमन के एक गुल-दस्ते में जाएँ

    तुम्हें है पंजतन का वास्ता सरकार-ए-रब्बानी

    मुझे क़तरा तुम समझो जुड़ा हूँ इक समंदर से

    मैं ला-वारिस नहीं मेरे शहा सरकार-ए-रब्बानी

    तुम्हें देखूँ तो बेचैनी देखूँ तो भी बेचैनी

    'अजब है दिल का मेरे मसअला सरकार-ए-रब्बानी

    मैं तन्हा हो के भी तन्हा कभी भी रह नहीं पाया

    तसव्वुर में रहा जल्वा तिरा सरकार-ए-रब्बानी

    कोई भी इस हक़ीक़त को कभी झुटला नहीं सकता

    जमाल-ए-ग़ौस का हैं आईना सरकार-ए-रब्बानी

    'अली के फ़ैज़ का अब नूर क्यूँ फैले महफ़िल में

    है उन की आल की नूरी ज़िया सरकार-ए-रब्बानी

    स्रोत :
    • पुस्तक : Sukhanwaran-e-Izzat (पृष्ठ 339)

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