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करम की इक नज़र मजबूर पर या मुस्तफ़ा करना

फ़ना बुलंदशहरी

करम की इक नज़र मजबूर पर या मुस्तफ़ा करना

फ़ना बुलंदशहरी

MORE BYफ़ना बुलंदशहरी

    रोचक तथ्य

    بہ روایت امان اللہ نظامی قوال۔

    करम की इक नज़र मजबूर पर या मुस्तफ़ा करना

    भिकारी हूँ मुझे सदक़ा नवासों का 'अता करना

    घिरे हैं या मोहम्मद हम गुनाहों के समंदर में

    सफ़ीना पार उम्मत का हबीब-ए-किब्रिया करना

    कहा महबूब से मा'बूद ने हम तुम को देखेंगे

    ज़रा इस मीम के पर्दे को चेहरे से जुदा करना

    तिरे दिल में जो मे'राज-ए-'इबादत की तमन्ना है

    रसूलुल्लाह की चौखट पे इक सज्दा अदा करना

    तुम्हारे फ़ैज़ से टलती है हर मुहताज की मुश्किल

    इधर भी कोई रहमत की नज़र ख़ैर-उल-वरा करना

    पहुँच जाएँ दर-ए-सरकार पे रहमत के साए में

    मदीने का मुसाफ़िर हूँ मिरे हक़ में दु'आ करना

    'फ़ना' जन्नत का रस्ता छोड़ कर दर पे मोहम्मद के

    मदीना रश्क-ए-जन्नत है मदीने में रहा करना

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