सर-हल्क़ा-ए-औलिया हो ख़्वाजा
रोचक तथ्य
منقبت درشان غریب نواز خواجہ معین الدین حسن چشتی (اجمیر۔ہندوستان)
सर-हल्क़ा-ए-औलिया हो ख़्वाजा
तुम हिन्द के बादशाह हो ख़्वाजा
तुम नूर-ए-ख़ुदा हो नूर-ए-अहमद
क्या जानिए और क्या हो ख़्वाजा
औलाद-ए-'अली-ए-मुर्तज़ा हो
आईना-ए-मुस्तफ़ा हो ख़्वाजा
फैलाए रमूज़-ए-दीन-ओ-ने’मत
हादी-ए-रह-ए-सफ़ा हो ख़्वाजा
'आलम में दिखाया जल्वा-ए-रब
आईना-ए-हक़-नुमा हो ख़्वाजा
ख़ाली हो ख़ुदी से हक़ से पुर हो
आईना हो आईना हो ख़्वाजा
लाखों ही ग़रीबों को नवाज़ा
दस्त-ए-करम ख़ुदा हो ख़्वाजा
भेजे गए हो रसूल-ए-हक़ के
मुश्किल में तुम आसरा हो ख़्वाजा
असरार ख़ुदी के तुम ने खोले
अल्लाह रे तुम भी क्या हो ख़्वाजा
बे-पर्दा मु’ईन-ए-दीन-ए-हक़ हो
पर्दे में न जाने क्या हो ख़्वाजा
क्या चीज़ है कश्फ़ और करामत
तुम उस से कहीं सिवा हो ख़्वाजा
इरशाद है मो'जिज़ा नबी का
तुम बोलता मो'जिज़ा हो ख़्वाजा
बातों में दिखाते हो ख़ुदा को
तुम कैसे ख़ुदा-नुमा हो ख़्वाजा
लाखों को बना दिया है तुम ने
अब हम पे भी कुछ दया हो ख़्वाजा
कितनों ही को हक़-नुमा बनाया
अब 'ग़ौसी' में जल्वा-रा हो ख़्वाजा
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