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सलाम उन पर जो चमके दह्र में बदरुद्दुजा बन कर

बेताब कालपवी

सलाम उन पर जो चमके दह्र में बदरुद्दुजा बन कर

बेताब कालपवी

MORE BYबेताब कालपवी

    सलाम उन पर जो चमके दह्र में बदरुद्दुजा बन कर

    सलाम उन पर जो आए मसदर 'इल्म-ओ-हया बन कर

    सलाम उन पर जिन्हों ने ख़ल्क़ की हाजत-रवाई की

    सलाम उन पर जिन्हों ने दुश्मनों से भी भलाई की

    सलाम उन पर कि जिन के नूर से रौशन हुआ 'आलम

    सलाम उन पर कि जो थे बे-कस-ओ-मज़लूम के हमदम

    सलाम उन पर जो फ़ख़्र-ए-अंबिया हैं नूर-ए-वहदत हैं

    सलाम उन पर कि जो दोनों जहाँ की शान-ओ-’अज़मत हैं

    सलाम उन पर जहाँ में जो पयाम-ए-अम्न लाए थे

    सलाम उन पर जो राहत और रहमत बन के आए थे

    सलाम उन पर जो बे-कस बे-नवाओं का सहारा हैं

    सलाम उन पर यतीमों और ग़ुलामों का जो यारा हैं

    सलाम उन पर मोहब्बत दहर में पैग़ाम था जिन का

    ग़ुलामों बे-कसों की दस्त-गीरी काम था जिन का

    सलाम उन पर जो आए रहमतुल-लिल-'आलमीं बन कर

    था अव्वल नूर जिन का आए ख़त्म-उल-मुरसलींं बन कर

    सलाम उन पर मिरा बे-ताब जो आक़ा-ए-'आलम हैं

    अमीरुल-अंबिया फ़ख़्र-ए-रुसुल हैं हुस्न-ए-आदम हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : तज़्किरा-ए-शो’रा-ए-उत्तर प्रदेश हिस्सा सोउम (पृष्ठ 81)
    • रचनाकार : इरफ़ान अ’ब्बासी

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