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मोहम्मद मुस्तफ़ा का जा-नशीं सिद्दीक़-ए-अकबर है

मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत

मोहम्मद मुस्तफ़ा का जा-नशीं सिद्दीक़-ए-अकबर है

मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत

MORE BYमौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत

    रोचक तथ्य

    مناقب در شان حضرت امیرالمؤمنین ابو بکر صدیق (مدینہ-سعودی عرب)

    मोहम्मद मुस्तफ़ा का जा-नशीं सिद्दीक़-ए-अकबर है

    ब-जुज़ पैग़म्बरों के सब से आ'ला सब से बरतर है

    ज़कात-ए-माल बा'द-ए-मुस्तफ़ा सिद्दीक़ को देना

    इशारा है ख़िलाफ़त का ये ज़ाहिर बल्कि अज़हर है

    पड़ी बुनियाद मस्जिद की रखा बा’द-ए-नबी पत्थर

    अबू-बक्र-ओ-'उमर 'उस्मान ने ये फ़ज़्ल-ए-दावर है

    इमाम-उल-मुस्लिमीं और पेशवा-ए-मर्द-ओ-ज़न सिद्दीक़

    इमामत और की बातिल जहाँ सिद्दीक़-ए-अकबर है

    ख़ुदा ने शान में सिद्दीक़ की अत्क़ा है फ़रमाया

    वो अत्क़ा है वो ’इनदल्लाहि-अक्रम और बेहतर है

    मोहम्मद मुस्तफ़ा पर जब वहइ आती तो सुनते थे

    ये कितना मर्तबा सिद्दीक़ का आ'ला है बरतर है

    अगर ईमान-ए-सिद्दीक़ और ईमान-ए-जहाँ तोलें

    तो ग़ालिब सब पे हो सिद्दीक़ का ईमाँ कि अकबर है

    'उमर की नेकियाँ इतनी हैं जितने चर्ख़ पर अंजुम

    'उमर सिद्दीक़ की नेकी है ये फ़रमान-ए-सरवर है

    नहीं पी मय कभी सिद्दीक़ ने इस्लाम से पहले

    ये कैसी फ़ितरत-ए-आ'ला है और तब'-ए-मोतह्हर है

    ज़मीं पर एक मुर्दा बे-इरादा चलता फिरता है

    ये वज्ह-ए-इस्म-ए-'अब्दुल्लाह है और सिर्र-ए-मुज़्मर है

    उठाया सिदक़ ने बार-ए-नुबुव्वत अपनी मगर दान पर

    वही तो सानी-ए-इसनैन और हमराह पयम्बर है

    किसी ने गर किया एहसान मैं ने कर दिया बदला

    जज़ा सिद्दीक़ को देगा ख़ुदा जो सब से बरतर है

    नबी दामाद-ए-वाला-शान हैं सिद्दीक़-ए-अकबर के

    विसाल-ए-'इश्क़-ए-सिद्दीक़ी का इस में राज़ मुज़्मर है

    उहुद में बद्र में अहज़ाब में और जंग-ए-ताएफ़ में

    हुदैबिया में हर मौतन में हमराह-ए-पयम्बर है

    तरीक़ क़ादरी और नक़्शबंदी और ‘शत्तारी’

    मदारी का भी आ'ला रहनुमा है और रहबर है

    नबी के बा'द घुल घुल के हुए सिद्दीक़ भी राही

    ये 'इश्क़-ए-जाँ-सिताँ है सब से आ'ला सब से बरतर है

    पस-ए-मुर्दन मिली ही जाए आग़ोश-ए-मोहम्मद में

    बना उस ख़ाक से जिस ख़ाक से जिस्म-ए-पयम्बर है

    अगर मुंकिर हो कोई फ़ज़्ल से सिद्दीक़-ए-अकबर के

    मैं हद्द-ए-मुफ़्तरी मारुँगा ये फ़रमान-ए-हैदर है

    'अली-ए-मुर्तज़ा के क़ौल पर हसरत का है ईमाँ

    मोहम्मद मुस्तफ़ा का जा-नशीं सिद्दीक़-ए-अकबर है

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