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तड़प उठता है दिल लफ़्ज़ों में दोहराई नहीं जाती

पीर नसीरुद्दीन नसीर

तड़प उठता है दिल लफ़्ज़ों में दोहराई नहीं जाती

पीर नसीरुद्दीन नसीर

MORE BYपीर नसीरुद्दीन नसीर

    रोचक तथ्य

    مناقب در شان حضرت امام حسین (کربلا-عراق)

    तड़प उठता है दिल लफ़्ज़ों में दोहराई नहीं जाती

    ज़बाँ पर कर्बला की दास्ताँ लाई नहीं जाती

    हुसैन इब्न-ए-’अली के ग़म में हूँ दुनिया से बेगाना

    हुजूम-ए-ख़ल्क़ में भी मेरी तन्हाई नहीं जाती

    उदासी छा रही है रूह पर शाम-ए-ग़रीबाँ की

    तबी'अत है कि बहलाने से बहलाई नहीं जाती

    जतन हर दौर में क्या क्या अहल-ए-शर ने कर देखे

    मगर ज़हरा के प्यारों की पज़ीराई नहीं जाती

    दलील उस से हो बढ़ कर क्या शहीदों की तहारत पर

    कि मय्यत दफ़्न की जाती है नहलाई नहीं जाती

    कहा शब्बीर ने 'अब्बास तुम मुझ को सहारा दो

    जवाँ बेटे की मय्यत मुझ से दफ़नाई नहीं जाती

    हुसैनियत को पाना है तो टक्कर ले यज़ीदों से

    ये वो मंज़िल है जो लफ़्ज़ों में समझाई नहीं जाती

    कोई भी दूर हो तो ही इमाम-ए-ग़म ठहरता है

    ग़म-ए-शब्बीर तेरी शान-ए-यकताई नहीं जाती

    'नसीर' आख़िर 'अदावत के भी कुछ आदाब होते हैं

    किसी बीमार को ज़ंजीर पहुँचाई नहीं जाती

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    सय्यद ज़बीब मास'उद

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    पीर नसीरुद्दीन नसीर

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