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है फ़ुज़ूँ अ'क़्ल से रिफ़अ'त-ए-सय्यदा

रमज़ान हैदर फ़िरदौसी

है फ़ुज़ूँ अ'क़्ल से रिफ़अ'त-ए-सय्यदा

रमज़ान हैदर फ़िरदौसी

रोचक तथ्य

منقبت درشان حضرت سیدہ فاطمہ زہرا سلام اللہ علیھا (مدینہ-سعودی عرب)

है फ़ुज़ूँ अ'क़्ल से रिफ़अ'त-ए-सय्यदा

लफ़्ज़ चुन चुन के कर मिदहत-ए-सय्यदा

हैं हबीब-ए-ख़ुदा की वो लख़्त-ए-जिगर

हो बयाँ किस तरह ‘अज़्मत-ए-सय्यदा

कुल ख़्वातीन की 'इज़्ज़त हैं मगर

है सभी से फ़ुज़ूँ 'इज़्ज़त-ए-सय्यदा

बाल-ए-जिब्रील या शाख़-ए-तूबा मिले

फिर लिखूँ बा-अदब मिदहत-ए-सय्यदा

नार से उन की औलाद महफ़ूज़ है

रब को मंज़ूर है हुरमत-ए-सय्यदा

उस की क़िस्मत पे नाज़ाँ है ख़ुल्द-ए-बरीं

मिल गई है जिसे निस्बत-ए-सय्यदा

रश्क से देखें हूरान-ए-फ़िरदौस भी

क़िस्मत-ए-सय्यदा बहजत-ए-सय्यदा

हक़ है लेकिन समझेगा ज़ुल्मत-ज़दा

मर्कज़-ए-नूर है तुर्बत-ए-सय्यदा

ख़ुल्द में जाए बन कर कनीज़-ए-बतूल

मेरी माँ को मिले बरकत-ए-सय्यदा

बख़्शी जाएगी हर एक बहना मिरी

जब मचल जाएगी रहमत-ए-सय्यदा

‘हैदर’-ए-बे-नवा वस्फ़ कैसे लिखे

छाई रहती है जब हैबत-ए-सय्यदा

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