हाँ वही शब्बीर जो था शीर-ख़्वार-ए-फ़ातिमा
रोचक तथ्य
منقبت درشان حضرت فاطمہ زہرا (جنت البقیع-مدینہ منورہ)
हाँ वही शब्बीर जो था शीर-ख़्वार-ए-फ़ातिमा
बन गया है रन में तेग़-ए-आबदार-ए-फ़ातिमा
कर्बला का ग़म मनाएँ ग़म-गुसार-ए-फ़ातिमा
लुट रहा है दश्त में बाग़-ओ-बहार-ए-फ़ातिमा
ख़ुल्द की हूरें तसद्दुक़ हो रही हैं हर क़दम
सू-ए-जन्नत जा रहा है शहसवार-ए-फ़ातिमा
फ़ातिमा राज़-ए-मशिय्यत हैं तो फिर कौनैन में
कौन है जो हो सकेगा राज़-दार-ए-फ़ातिमा
छे महीने बा'द ही सरकार से जा कर मिलीं
रब ने पूरा कर दिया यूँ इंतिज़ार-ए-फ़ातिमा
जिस जगह जिब्रील भी थम-थम के रखते हैं क़दम
बज़्म-ए-'आलम में है वो शान-ए-दियर-ए-फ़ातिमा
आँख को नम कीजिए 'आलम-ए-ग़म-ए-शब्बीर में
सुन्नत-ए-अहमद है होना ग़म-गुसार-ए-फ़ातिमा
- पुस्तक : Sukhan Waraan-e-Izzat (पृष्ठ 217)
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