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Sufinama

सरासर है रहमत का दर अल्लाहु अल्लाह

शाह आयतुल्लाह क़ादरी

सरासर है रहमत का दर अल्लाहु अल्लाह

शाह आयतुल्लाह क़ादरी

सरासर है रहमत का दर अल्लाहु अल्लाह

नबी-ए-मुकर्रम का घर अल्लाहु अल्लाह

मुनव्वर मुनव्वर मोअ'त्तर मोअ'त्तर

मदीने की हर रहगुज़र अल्लाहु अल्लाह

नबी के ही परतव से नज्म-ए-दरख़्शाँ

चमकते हैं शम्स-ओ-क़मर अल्लाहु अल्लाह

है कौनैन में फैली उन ही की ख़ुश्बू

मोअ'त्तर है हर बहर-ओ-बर अल्लाहु अल्लाह

चमकने लगी देखते मेरी क़िस्मत

मदीने का नूर-ए-सहर अल्लाहु अल्लाह

वो ख़त्म-ए-रुसुल आफ़्ताब-ए-रिसालत

नबूवत के हैं ताजवर अल्लाह अल्लाह

मदीने का मंज़र है ज़ौ-रेज़ कितना

मुनव्वर है शाम-ओ-सहर अल्लाहु अल्लाह

वो सब से जमील और सीरत भी उन की

है बे-मिस्ल और ख़ूब-तर अल्लाहु अल्लाह

वो मेहराब-ओ-मिम्बर वो रौज़े की जाली

वो क़द में ख़ैरुल-बशर अल्लाहु अल्लाह

अ'जब जाँ-फ़िज़ा सब्ज़-गुम्बद का मंज़र

है फ़िरदौस आया उतर अल्लाहु अल्लाह

रियाज़-उल-जन्नाँ में बे-ख़िराम आब-ए-रहमत

कि जन्नत में है इक नहर अल्लाहु अल्लाह

रुख़-ए-मुस्तफ़ा की झलक पर किसी की

ठहरती नहीं है नज़र अल्लाहु अल्लाह

यक़ीनन हैं दोनों जहाँ में सरफ़राज़

ग़ुलामान-ए-ख़ैर-उल-बशर अल्लाहु अल्लाह

सुनाता दिल मुज़्तरिब के में अहवाल

जो होता कोई नामा-बर अल्लाहु अल्लाह

तमन्ना है मग़्मूम आयत के दिल में

मदीने का फिर हो सफ़र अल्लाहु अल्लाह

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