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त'आलल्लाह है किस शान की सरकार क्या कहना

शफ़क़ एमाद्पुरी

त'आलल्लाह है किस शान की सरकार क्या कहना

शफ़क़ एमाद्पुरी

MORE BYशफ़क़ एमाद्पुरी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان محبوب الٰہی خواجہ نظام الدین اؤلیا (دہلی،بھارت)

    त'आलल्लाह है किस शान की सरकार क्या कहना

    कि महबूब-ए-इलाही का है ये दरबार क्या कहना

    चराग़-ए-तूर है रौशन कलस रौज़े के गुंबद का

    बरसते हैं ज़मीं पर 'अर्श के अनवार क्या कहना

    बशर आँखें बिछाने को अदब से क्यूँ झुक जाएँ

    मलक हैं दस्त बस्ता हाज़िर-ए-दरबार क्या कहना

    जो आँखें देखती हैं दिल से कुछ उस के मज़े पूछो

    निगाहों पर खुले हैं पर्दा-ए-असरार क्या कहना

    शराब-ए-’इश्क़ से लबरेज़ ’इरफ़ाँ सागर-ए-दिल है

    मय-ए-तौहीद से आँखें भी हैं सरशार क्या कहना

    सलामत मय-कदा तुझ पर ख़ुदा की रहमतें साक़ी

    खड़े हैं हौज़-ए-कौसर पर तिरे मय-ख़्वार क्या कहना

    तिरे मस्तों की मद-होशी भी हुश्यारी से अच्छी है

    तिरे मदहोश मस्ती में भी हैं हुशियार क्या कहना

    'इवज़ फूलों के लाऊँ डालियाँ भर कर दुरूदों की

    पसंद जाएँ तो सल्ले-'अला सरकार क्या कहना

    क्यूँ दारुश्शिफ़ा समझें हम उस दरबार-ए-'आली को

    बदलता है यहाँ सेहत से हर आज़ार क्या कहना

    ये ए'जाज़-ए-मसीहाई कि हाज़िर होते ही दर पर

    तवाना है 'शफ़क़' सा ना-तवाँ बीमार क्या कहना

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