वही बेहोश है जो आप का मस्ताना नहीं
रोचक तथ्य
مناقب در شان مولانا اشرف علی صابری تھانوی (تھانہ بھون-مظفر نگر)
वही बेहोश है जो आप का मस्ताना नहीं
ख़ुद वो दीवाना है जो आप का दीवाना नहीं
दोस्त होते हैं फ़िदा जलते हैं दुश्मन तुझ से
कौन है वो जो तिरे हुस्न का परवाना नहीं
रोज़-ए-रौशन की तरह तेरा नुमायाँ है कमाल
कोर-ए-बातिन है वो जिस ने तुझे पहचाना नहीं
ला इधर जाम कि ना-अहल हैं मुंकिर साक़ी
दर-ख़ुर हर कस-ना-कस तिरा पैमाना नहीं
शोर-ए-वा'इज़ है उसी वक़्त तक ऐ पीर-ए-मुग़ाँ
गूँजा जब तक कि तिरा ना'रा-ए-मस्ताना नहीं
ख़ुद ही मिट जाएँगे सब हक़ के मिटाने वाले
लाख कोशिश करें मिटता तरह अफ़्साना नहीं
करते हैं अहल-ए-हसद तेरी हवा-ख़ेज़ी क्या
मुमकिन उन ज़र्रों से ख़ुर्शीद का छुप जाना नहीं
इस ज़माना में है महरूम-ए-अज़ल ये शनाख़्त
या'नी जो मो'तक़िद-ए-हज़रत मौलाना नहीं
शाह साहिब जो समझता है तू भिक-मंगों को
तू ने देखी वो अभी सूरत-ए-शाहाना नहीं
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