सय्यदुल-असख़िया नाज़-ए-अहल-ए-सुनन
रोचक तथ्य
منقبت درشان حضرت امام حسن بن علی المترضیٰ (مدینہ منورہ۔ سعودی عرب)
सय्यदुल-असख़िया नाज़-ए-अहल-ए-सुनन
ऐ इमाम हुस्न ऐ इमाम हुस्न
आप हैं हम-शबीह-ए-रसूल-ए-ज़मन
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
राकिब-ए-दोश-ए-ख़ैरुल-बशर आप हैं
बहर-ए-तक़्वा के नादिर गुहर आप हैं
आप हैं मर्द-ए-हक़ मर्द-ए-बातिल-शिकन
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
आप को वो सियासी बसीरत मिली
दीन इस्लाम को जिस से ताक़त मिली
आप के फ़ह्म पर है फ़िदा जान-ओ-तन
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
आप को रब्ब-ए-तआ'ला ने बख़्शा शर्फ़
आप को मानने वाले हैं हर तरफ़
दास्ताँ आप की है चमन दर चमन
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
ख़ूबियों का जहाँ आप की ज़ात है
मुस्तनद मो’तमद आप की बात है
आप हैं बिल-यक़ीं रश्क-ए-सद अंजुमन
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
फ़ख़्र है हम तुम्हारी ग़ुलामी में हैं
ख़ूब मसरूर हैं नेक-नामी में हैं
दूर है हम से हर एक रंज-ओ-मेहन
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
आप की ख़ूँ से चमके ज़ुजाज-ए-हयात
बरसे 'वासिफ़' रज़ा पर गुल-ए-इल्तिफ़ात
राह-ए-हक़ पर ये हर दम रहे गामज़न
ऐ इमाम-ए-हसन ऐ इमाम-ए-हसन
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