हो जाए जो मंगता शह-ए-नवाब अ'ली का
रोचक तथ्य
منقبت درشان حضرت نواب علی شاہ حسنی جہاں گیری (فتح پور۔اترا پردیش)
हो जाए जो मंगता शह-ए-नवाब अ'ली का
मुहताज वो दुनिया में रहेगा न किसी का
ख़ाक-ए-दर-ए-नवाब अ'ली सर पे सजा ले
जिस शख़्स को हो शौक़ बहुत ताज-वरी का
लेता है सबक़ मकतब-ए-नवाब अ'ली में
तब जा के कोई बनता है दीवाना अ'ली का
हुजरा शह-ए-नवाब का जिस शख़्स को मिल जाए
करता नहीं दीदार किसी बारा-दरी का
चूमें दर-ए-नवाब को आ आ के शुआएँ
सूरज भी अदब करता है नवाब अ'ली का
बुझ जाओ सितारों की तरह उन की गली में
मिल जायगा अंदाज़ तुम्हें राहबरी का
मंगता न किसी और का दर देखने जाये
टुकड़ा जो मिले लंगर-ए-नवाब अ’ली का
ख़्वाहिश शह-ए-नवाब के दर पर हुई पूरी
सोचा था कि सीखुंगा हुनर शीशागरी का
'यावर' शह-ए-नवाब जिसे कहती है दुनिया
बे-मिस्ल शहंशाह है पंद्रहवीं सदी का
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