ज़िंदगी का है मज़ा तो आप के दरबार में
ज़िंदगी का है मज़ा तो आप के दरबार में
इश्तियाक़ आलम ज़िया शहबाज़ी
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रोचक तथ्य
منقبت در شان حضرت شہباز محمد (بھاگل پور-بہار)
ज़िंदगी का है मज़ा तो आप के दरबार में
है ख़ुदा वालों की जन्नत कूचा-ए-दिलदार में
हम पे भी चश्म-ए-करम फ़रमाइए मख़दूम-ए-मन
आज हम भी आगए हैं 'इश्क़ की सरकार मैं
बादशाहों को 'अता की सल्तनत ताज-ए-शही
कुछ 'अता कर दें इधर भी दामन-ए-नादार में
इक नज़र जिस पर पड़ी वो आप ही का हो गया
क्या 'अजब तासीर है हुस्न-ओ-जमाल-ए-यार में
शाहबाज़-ए-ला-मकानी आप ही के फ़ैज़ से
मंक़बत के फूल खिलते हैं मिरे अश'आर में
है ’ज़िया’-ए-बे-सर-ओ-सामान मोहताज-ए-करम
सुनते हैं शान-ए-करीमी है तिरी सरकार में
- पुस्तक : Jalwa-e-Gul Lafz-ba-Lafz (पृष्ठ 113)
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