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बयान-ए-हसद-ए-वज़ीर

रूमी

बयान-ए-हसद-ए-वज़ीर

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    रोचक तथ्य

    हिंदी अनुवाद: सज्जाद हुसैन

    बयान-ए-हसद-ए-वज़ीर

    वज़ीर के हसद के बयान में

    आँ वज़ीरक अज़ हसद बूदश नज़ाद

    ता ब-बातिल गोश-ओ-बीनी बाद दाद

    वो कमीना वज़ीर, हसद से बना था

    इसीलिए उसने ना-हक़ कान और नाक बर्बाद किए

    बर उम्मीद-ए-आँ-कि अज़ नीश-ए-हसद

    ज़हर-ए-ऊ दर जान-ए-मिस्कीनाँ रसद

    इस उम्मीद पर कि हसद के डँक के ज़रिआ’

    उसका ज़हर मिस्कीनों की जान पर पहुँच जाएगा

    हर कसे कू अज़ हसद बीनी कनद

    ख़्वेश्तन बे-गोश-ओ-बे-बीनी कुनद

    जो शख़्स हसद की वजह से अपनी नाक काटता है

    वो अपने अपको ही कान और बे-नाक का कर लेता है

    बीनी आँ बाशद कि बू-ए-बरद

    बू-ए-ऊ रा जानिब-ए-कू-ए-बरद

    नाक तो वो है जो बू सूँघे

    बू उस को कूचा की तरफ़ ले जाए

    हर कि बूयश नीस्त बे-बीनी बुवद

    बू-ए-आँ बूयस्त काँ दीनी बुवद

    जिसमें बू की सलाहियत नहीं वो बे-नाक का होता है

    और बू वो बू है जो दीन की हो

    चूँकि बू-ए-बुर्द-ओ-शुक्र-ए-आँ न-कर्द

    कुफ़्र-ए-ने'मत आमद-ओ-बे-नीश ख़ुर्द

    और जब बू सूंघी और उसका शुक्र किया

    तो ये कुफ़रान-ए-ने’मत हुआ और (गोया) वो उस की नाक को खा गया

    शुक्र कुन मर शाकिराँ रा बंदे बाश

    पेश-ए-ईशाँ मुर्दः शो पायंदः बाश

    शुक्र कर और शुक्र-गुज़ारों का ग़ुलाम बन

    उनके सामने मुर्दा बन और ’उम्र-ए-दवाम हासिल कर

    चुँ वज़ीर अज़ रहज़नी मायः म-साज़

    ख़ल्क़ रा तू बर मी-आवर अज़ नमाज़

    वज़ीर की तरह रह-ज़नी का सामान कर

    लोगों को नमाज़ से रोक

    नासेह-ए-दीं गश्त: आँ काफ़िर वज़ीर

    कर्द: अज़ मक्र दर लौज़ीनः सैर

    वो काफ़िर वज़ीर, दीन का वा’इज़ बन गया

    उसने मक्र से बादाम के हलवा में लहसुन मिला दिया

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