हिकायत-ए-बादशाह-ए-जहूद-ए-दीगर कि दर हलाक-ए-दीन-ए-’ईसा स’ई नुमूद
रोचक तथ्य
हिंदी अनुवाद: सज्जाद हुसैन
हिकायत-ए-बादशाह-ए-जहूद-ए-दीगर कि दर हलाक-ए-दीन-ए-'ईसा स'ई नुमूद
एक दूसरे यहूदी बादशाह की हिकायत जो हज़रत-ए-’ईसा के दीन
बा'द अज़ींं ख़ूँ-रेज़ दर्माँ ना-पज़ीर
कि-अन्दर उफ़्ताद अज़ बला-ए-आँ वज़ीर
इस ना-क़ाबिल-ए-’इलाज ख़ूँ-रेज़ी के बा’द
जो उस वज़ीर की मुसीबत की वजह से वाक़े’ हुई थी
यक शह-ए-दीगर ज़ नस्ल-ए-आँ जहूद
दर हलाक-ए-क़ौम-ए-'ईसा रू नुमूद
उस यहूदी की नस्ल से एक दूसरा बादशाह
हज़रत-ए-’ईसा की क़ौम की हलाकत की तरफ़ मुतवज्जिह हुआ
गर ख़बर ख़्वाही अज़ीं दीगर ख़ुरूज
सूराः बर ख़्वाँ वस्समा ज़ातिल-बुरूज
अगर तू उस दूसरी बग़ावत की ख़बर चाहता है
तो सूरा –ए-वस्समाइ-ज़ातिल-बुरूज को पढ़ ले
सुन्नत-ए-बद कज़ शह-ए-अव्वल ब-ज़ाद
ईं शह-ए-दीगर क़दम दर वै निहाद
बुरा तरीक़ा जो पहले बादशाह से पैदा हुआ
उस दूसरे बादशाह ने उस पर क़दम रखा
हर कि ऊ ब-निहाद ना-ख़ुश सुन्नते
सू-ए-ऊ नफ़रीं रवद हर सा'अते
जिस किसी ने बुरा तरीक़ा ईजाद किया
उसकी जानिब हर वक़्त ला’नत जाती है
नेकवाँ रफ़्तंद-ओ-सुन्नत-हा ब-मांद
वज़ ल'ईमाँ ज़ुल्म-ओ-ला'नत-हा ब-मांद
नेक लोग गुज़र गए और उनके तरीक़े रह गए
और कमीनों से ज़ुल्म और ला’नतें (बाक़ी) रह गईं
ता क़यामत हर कि जिन्स-ए-आँ बदाँ
दर वुजूद आयद बुवद रूयश बदाँ
क़ियामत तक उन बुरों की जिन्स से जो
वुजूद में आता है उसका रुख़ उनकी तरफ़ होता है
रग रगस्त ईं आब-ए-शीरीन-ओ-आब-ए-शोर
दर ख़लाएक मी रवद ता नफ़्ख़-ए-सूर
ये मीठा पानी और खारा पानी रग-रग में है
जो लोगों में सूर फूँके जाने तक जारी रहेगा
नेकवाँ रा हस्त मीरास अज़ ख़ुश-आब
आंचे मीरासस्त अवरस्नल-किताब
नेकों का विर्सा मीठा पानी है
जो और सना-उल-किताब की मीरास है
शुद नियाज़-ए-तालिबाँ अर बंगरी
शो'लः-हा अज़ गौहर-ए-पैग़ंबरी
अगर तू ग़ौर करे तो तालिबों की नियाज़-मंदी
पैग़ंबरी जौहर के शो’ले हैं
शो'लः-हा बा-गौहराँ गर्दां बुवद
शो'लः आँ जानिब रवद हम काँ बुवद
शो’ले, जवाहर के साथ गर्दिश करते हैं
अनवार उस जानिब जाते हैं जहाँ वो होते हैं
नूर-ए-रौज़न गिर्द-ए-ख़ानः मी दवद
ज़ाँ-कि ख़ुर बुर्जे ब-बुर्जे मी-रवद
रौशन-दान की रौशनी घर के चारों तरफ़ दौड़ती है
इसलिए कि सूरज एक बुर्ज से दूसरे बुर्ज में जाता है
हर कि रा बा अख़्तरे पैवस्त-गीस्त
म-रौ रा बा-अख़्तर-ए-ख़ुद हम तगीस्त
जिसको किसी सितारे से वाबस्तगी है
उसकी अपने सितारे के साथ दौड़ है
ताले'अश गर ज़ोहरः बाशद दर तरब
मैल-ए-कुल्ली दारद-ओ-'इश्क़-ओ-तलब
अगर उसका नछत्तर ज़ोहरा होगा तो ऐ’श-ओ-तरब
और ’इश्क़-ओ-तलब में पूरा मैलान रखेगा
वर बुवद मिर्रीख़ी-ए-खूँ-रेज़ ख़ू
जंग-ओ-बोहतान-ओ-ख़ुसूमत जूयद ऊ
और अगर वो मिर्रीख़ जैसी खूँ-रेज़ ’आदत वाला है
तो वो लड़ाई, बोहतान और झगड़े की जुस्तुजू करेगा
अख़्तरानंद अज़ वरा-ए-अख़्तराँ
कि इहतिराक़-ओ-नह्स न-बुवद अंदर-आँ
सितारों के पीछे और सितारे हैं
उनमें जलाने का मैलान और नुहूसत नहीं है
साइराँ दर आसमाँ हा-ए-दिगर
ग़ैर-ए-ईं हफ़्त आसमान-ए-मुश्तहर
जो दूसरे आसमानों में गर्दिश कर रहे हैं
इन मशहूर सात, आसमानों के ’अलावा
रासिख़ाँ दर ताब-ए-अनवार-ए-ख़ुदा
ने बहम पैवस्तः ने अज़ हम जुदा
(वो सितारे) ख़ुदा के अनवार की गर्मी में साबित-क़दम हैं
न बाहम जुड़े हुए हैं न एक दूसरे से जुदा हैं
हर कि बाशद ताले'-ए-ऊ आँ नुजूम
नफ़्स-ए-ऊ कुफ़्फ़ार सोज़द दर रुजूम
जिस शख़्स का नछत्तर इन सितारों से होगा
उसका नफ़्स कुफ़्फ़ार को रुजूम के वक़्त जला देगा
ख़श्म-ए-मिर्रीख़ी न-बाशद ख़श्म-ए-ऊ
मुंक़लिब रौ ग़ालिब-ओ-मग़्लूब ख़ू
उसका ग़ुस्सा मिर्रीख़ी ग़ुस्सा नहीं होगा
वो सर झुका कर चलने वाला, ग़ालिब और मग़लूब ’आदत वाला है
नूर-ए-ग़ालिब ऐमन अज़ नक़्स-ओ-ग़स्क़
दरमियान-ए-इस्ब’ऐन-ए-नूर-ए-हक़
वो ग़ालिब आने वाला नूर है, गहन और अँधेरे से महफ़ूज़
अल्लाह के नूर की दो उंगलियों के दरमियान
हक़ फ़िशांद आँ नूर रा बर जान-हा
मुक़्बिलाँ बर दाश्तः दामान-हा
अल्लाह तआ’ला ने उस नूर को रूहों पर निछावर फ़रमाया
जिससे नसीबा और अपने दामन भरे हुए हैं
वाँ निसार-ए-नूर रा ऊ याफ़्तः
रू-ए-अज़ ग़ैर-ए-ख़ुदा बर ताफ़्त:
जिसने उस नूर का निछावर पालिया
उसने मुँह ख़ुदा के ग़ैर से मोड़ लिया
हर कि रा दामान-ए-'इश्क़े ना-बुदः
ज़ाँ निसार-ए-नूर बे-बहरः शुदः
जिसके पास ’इश्क़ का दामन न था
वो उस नूर के निछावर से बे-हिस्सा रहा
जुज़्व-हा रा रू-ए-हा सू-ए-कुलस्त
बुल्बुलाँ रा 'इश्क़-बाज़ी बा-गुलस्त
अज्ज़ा के रुख़ कल की तरफ़ हैं
बुलबलों को फूल के चेहरा से ’इश्क़ है
गाव रा रंग अज़ बरुँ-ओ-मर्द रा
अज़ दरूँ जू रंग-ए-सुर्ख़-ओ-ज़र्द रा
बेल का रंग बाहर से और इन्सान का
अंदर से ढूंढ, सुर्ख़ और ज़र्द रंग
रंग-हा-ए-नेक अज़ ख़ुम्म-ए-सफ़ास्त
रंग ज़ शिताँ अज़ सियाह आबः-ए-जफ़ास्त
नेक लोगों के रंग सफ़ा के मटके से हैं
और बुरों के रंग, मैल कुचैल के सियाह पानी से हैं
सिब्ग़तुल्लाह नाम-ए-आँ रंग-ए-लतीफ़
ला'नतुल्लाह बू-ए-आँ रंग-ए-कसीफ़
सिब्ग़तुल्लाह उस पाक रंग का नाम है
ला’नतुल्लाह उस गंदे रंग की बदबू है
आँ-चे अज़ दरिया ब-दरिया मी रवद
अज़ हम आँ-जा कि-आमद आँ-जा मी रवद
जो पानी दरिया से आता है, दरिया में जाता है
जिस जगह से आता है उसी जगह जाता है
अज़ सर-ए-कि सैल-हा-ए-तेज़ रौ
वज़ तन-ए-मा जान-ए-'इश्क़-आमेज़ रौ
पहाड़ की चोटी से, तेज़-रौ सैलाब
और हमारे जिस्म से ’इश्क़ में डूबी जान (रवाँ होती है)
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