ख़ल्वत तलबीदन-ए-आँ वली अज़ पादशाह जिहत-ए-दरयाफ़तन-ए-रंज-ए-कनीज़क
रोचक तथ्य
हिंदी अनुवाद: सज्जाद हुसैन
ख़ल्वत तलबीदन-ए-आँ वली अज़ पादशाह जिहत-ए-दरयाफ़तन-ए-रंज-ए-कनीज़क
लौंडी का मरज़ मा’लूम करने के लिए तबीब का बादशाह से लौंडी के साथ तन्हाई चाहना
गुफ़्त ऐ शह ख़ल्वती कुन ख़ानः रा
दूर कुन हम ख़्वेश-ओ-हम बेगान: रा
बोला, ऐ बादशाह घर को ख़ाली कर दे
अपने और ग़ैर को हटा दे
कस न-दारद गोश दर दहलीज़हा
ता ब-पुर्सम ज़ीं कनीज़क चीज़हा
दहलीज़ों में कोई कान न लगाए
ताकि मैं कनीज़ से कुछ बातें पूछूँ
ख़ानः ख़ाली मानद-ओ-यक दय्यार-ए-ने
जुज़ तबीब-ओ-जुज़ हमाँ बीमार-ए-ने
घर ख़ाली कर दिया, और कोई घर वाला न रहा
सिवाए तबीब, और सिवाए बीमार के कोई न रहा
नर्म नर्मक गुफ़्त शहर-ए-तू कुजास्त
कि 'इलाज-ए-अहल-ए-हर शहरे जुदास्त
आहिस्तगी-ओ-नर्मी से (तबीब ने) कहा तेरा शहर कहाँ है
क्यूँकि हर शहर वाले का ‘इलाज जुदा-गाना है
वंदर आँ शहर अज़ क़राबत कीस्तत
ख़्वेशी-ओ-पैवस्तगी बा-चीस्तत
और इस शहर में तेरा रिश्तेदार कौन है?
अपनाइयत और त’अल्लुक़ किससे है?
दस्त बर नबज़्श निहाद-ओ-यक ब-यक
बाज़ मी पुर्सीद अज़ जौर-ए-फ़लक
हाथ उसकी नब्ज़ पर रखा और एक-एक
आसमान के ज़ुल्म का हाल पूछ रहा था
चूँ कसे रा ख़ार दर पायश जेहद
पा-ए-ख़ुद रा बरसर-ए-ज़ानू नेहद
जब किसी के पैर में काँटा चुभता है
अपना पैर रान पर रख लेता है
वज़ सर-ए-सोज़न हमी जूयद सरश
वर नयाबद मी कुनद बा-लब तरश
उसका सिरा सूई की नोक से तलाश करता है
और अगर नहीं मिलता तो उसे लब से तर करता है
ख़ार दर पा शुद चुनीं दुश्वार याब
ख़ार दर दिल चूँ बुवद वादः जवाब
पैर का काँटा पाना जब इस क़दर दुश्वार है
दिल के काँटे का क्या हाल होगा? जवाब दे
ख़ार-ए-दिल रा गर ब-दीदे हर ख़से
दस्त कि बूदे ग़माँ रा बर कसे
दिल का काँटा अगर हर शख़्स देख सकता
तो ग़मों को किसी पर कब क़ाबू होता
कस ब-ज़ेर-ए-दुम-ए-ख़र ख़ारे नेहद
ख़र न-दानद दफ़्'-ए-आँ बर मी जेहद
कोई गधे की दुम के नीचे काँटा रख देता है
गधे को उसके दूर करने का तरीक़ा नहीं मा’लूम, वो कूदता है
बर जेहद वाँ ख़ार मोहकम-तर ज़नद
'आक़िले बायद कि ख़ारे बर कुनद
वो गधा कूदता है और उस काँटे को और मज़बूत कर देता है
कोई ‘अक़्ल-मंद चाहिए जो काँटे को निकाले
ख़र ज़े बह्र-ए-दफ़्'-ए-ख़ार अज़ सोज़-ओ-दर्द
जुफ़्तः मी अन्दाख़्त सद जा ज़ख़्म कर्द
सोज़िश और दर्द की वजह से गधे ने काँटे को दूर करने के लिए
दो-लतियाँ फेंकीं और सौ जगह ज़ख़्म कर लिए
आँ हकीम-ए-ख़ार-चीं उस्ताद बूद
दस्त मीज़द जा-ब-जा मी आज़मूद
वो काँटा निकालने वाला तबीब, उस्ताद था
जा-ब-जा हाथ मारता था और आज़माता था
ज़ाँ कनीज़क बर तरीक़-ए-दास्ताँ
बाज़ मी पुर्सीद हाल-ए-दोस्ताँ
उस लौंडी से सच्चों की तरह
गुज़श्ता हालात के बारे में पूछता था
बा-हकीम ऊ क़िस्स-हा मी गुफ़्त फ़ाश
अज़ मुक़ाम-ओ-ख़्वाज-गाँ-ओ-शहर ताश
तबीब से वो राज़ की बातें खुल कर कहती थी
मक़ाम, और आक़ाओं और बस्ती वालों के मुत’अल्लिक़
सू-ए-क़िस्सा गुफ़्तनश मी दाश्त गोश
सू-ए-नब्ज़-ओ-जस्तनश मी दाश्त होश
वो उसकी क़िस्सा-गोई पर कान लगाए था
नब्ज़ और उसकी हरकात पर पूरी तरह मुतवज्जिह था
ता कि नब्ज़ज़ नाम-ए-के गर्दद जहाँ
ऊ बुवद मक़्सूद-ए-जानश दर जहाँ
ताकि (ये जान ले कि) किस नाम पर उसकी नब्ज़ फड़कती है
दुनिया में उसका जानी महबूब वही होगा
दोस्तान-ए-शहर ऊ रा बर शुमुर्द
बाद अज़ाँ शहरे दिगर रा नाम बुर्द
(पहले) उसने अपने शहर के दोस्तों को गिना
उसके बा’द दूसरे शहर का नाम लिया
गुफ़्त चूँ बैरूँ शुदी अज़ शहर-ए-ख़्वेश
दर कुदामीं शहर बूदस्ती तू बेश
(तबीब ने) कहा जब तू अपने शहर से निकली
ज़ियादा किस शहर में रही थी
नाम-ए-शहरे गुफ़्त-ओ-ज़ाँ हम दर गुज़श्त
रंग-रू-ओ-नब्ज़-ए-ऊ दीगर नगश्त
उस ने एक शहर का नाम लिया और आगे बढ़ी
चेहरा का रंग और उसकी नब्ज़ न बदली
ख़्वाज-गान-ओ-शहर-हा रा यक-ब-यक
बाज़ गुफ़्त अज़ जा-ए-वज़ नान-ओ-नमक
आक़ाओं और शहर का एक-एक कर के नाम बताया
फिर मक़ाम और खाने पीने का ज़िक्र किया
शहर शहर-ओ-ख़ानः-ख़ानः क़िस्सः कर्द
ने रगश जुंबीद-ओ-ने रुख़ गश्त ज़र्द
एक-एक शहर और एक-एक गाँव का ज़िक्र किया
न उसकी नब्ज़ फड़की, न चेहरा ज़र्द पड़ा
नब्ज़-ए-ऊ बर हाल-ए-ख़ुद बुद बे-गज़ंद
ता ब-पुर्सीद अज़ समरक़ंद-ए-चु क़ंद
उसकी नब्ज़ बिला-तकल्लुफ़ अपनी हालत पर थी
यहाँ तक कि (तबीब ने) शकर जैसे समरक़ंद का हाल पूछा
नब्ज़ जस्त-ओ-रू-ए-सुर्ख़-ओ-ज़र्द शुद
कज़ समरक़ंदी-ए-ज़रगर फ़र्द शुद
नब्ज़ फड़की और उसका लाल चेहरा ज़र्द हो गया
इसलिए कि समरकंदी सुनार से जुदा हो गई
चूँ ज़े रंजूर आँ हकीम ईं राज़ याफ़्त
ला'ल-ए-आँ दर्द-ओ-बला रा बाज़ याफ़्त
उस तबीब ने जब बीमार से ये राज़ लिया
उस दर्द और मुसीबत की जड़ मा’लूम कर ली
गुफ़्त कू-ए-ऊ कुदाम अंदर गुज़र
ऊ सर-ए-पुल गुफ़्त-ओ-कू-ए-ग़ातफ़र
उस (तबीब ने) कहा उसका कूचा और रास्ता कौनसा है?
उस (लौंडी ने कहा) (रास्ता) सर-ए-पुल और कूचा ग़ातफ़र है
गुफ़्त दानिस्तम कि रंजत चीस्त ज़ूद
दर ख़लासत सहरहा ख़्वाहम नमूद
चूँकि मैं समझ गया हूँ तेरा मरज़ क्या है
जल्द तेरे ‘इलाज में जादू दिखाऊँगा
शाद बाश-ओ-फ़ारिग़-ओ-एमन कि मन
आँ कुनम बा तू कि बाराँ बा चमन
ख़ुश और फ़ारिग़-उल-बाल रह कि मैं
तेरे साथ वो कुछ करूँगा जो बारिश चमन से करती है
मन ग़म-ए-तू मी ख़ुरम तू ग़म म-ख़ूर
बर तू मन मुश्फ़िक़-तरम अज़ सद पिदर
मैं तेरा ग़म-ख़्वार हूँ तू ग़म न कर
सौ बापों से बढ़कर मैं तुझ पर मेहरबान हूँ
हाँ-ओ-हाँ ईं राज़ रा बा कस म-गो
गरचे अज़ तू शह कुनद बस जुस्तुजू
ख़बरदार, ख़बरदार, ये राज़ किसी से न कहना
अगरचे बादशाह भी तुझसे दरयाफ़्त करे
गोर-ख़ानः-ए-राज़-ए-तू चूँ दिल शवद
आँ मुरादत ज़ूद-तर हासिल शवद
जब तेरा राज़ दिल, में छुपा होगा
तेरी वो मुराद बहुत जल्द तुझको हासिल हो जाएगी
गुफ़्त पैग़म्बर कि हर कि सर न-हुफ़्त
ज़ूद गर्दद बा-मुराद-ए-ख़्वेश जुफ़्त
पैग़ंबर (सल्लल्लाह ‘अलैहि-वसल्लम) ने फ़रमाया है
जिस शख़्स ने अपना राज़ छुपाया वह बहुत जल्द अपनी मुराद से वाबस्ता हुआ
दानः हा चूँ दर ज़मीं पिन्हाँ शवद
सिर्र-ए-आँ सर सब्ज़ी-ए-बुस्ताँ शवद
दाना जब ज़मीन में छुपता है
उसके बा’द ही बाग़ की सर-सब्ज़ी (का सबब) बनता है
ज़र्र-ओ-नुक़्रः गर न-बूदंदी निहाँ
परवरिश के याफ़्तंदे ज़ेर-ए-काँ
सोना और चाँदी अगर छुपे न होते
तो कान में परवरिश कैसे पाते
वा'दः-हा-ओ-लुत्फ़हा-ए-आँ हकीम
कर्द आँ रंजूर रा ऐमन ज़े बीम
उस तबीब के वा’दों और मेहरबानियों ने
उस बीमार को ख़ौफ़ से मुतमइन कर दिया
वा'दः-हा बाशद हक़ीक़ी दिल-पज़ीर
वा'दः-हा बाशद मजाज़ी ता सेह गीर
सच्चे वा’दे दिल-पसंद होते हैं
(और) झूटे वा’दे परेशान करते हैं
वा'दः-ए-अहल-ए-करम नक़्द-ए-रवाँ
वा'दः-ए-ना-अहल शुद रंज-ए-रवाँ
अहल-ए-करम का वा’दा जारी ख़ज़ाना है
और ना-अहल का वा’दा ‘अज़ाब-ए-जान है
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