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बाज़ तर्जीह निहादन-ए-शेर जेहद रा बर तवक्कुल-ओ-फ़वाइद-ए-जेहद रा बयान कर्दन

रूमी

बाज़ तर्जीह निहादन-ए-शेर जेहद रा बर तवक्कुल-ओ-फ़वाइद-ए-जेहद रा बयान कर्दन

रूमी

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    बाज़ तर्जीह निहादन-ए-शेर जेहद रा बर तवक्कुल-ओ-फ़वाइद-ए-जेहद रा बयान कर्दन

    शेर का फिर तवक्कुल पर कोशिश को तर्जीह देना और कोशिश के फ़ाइदे बयान करना

    शेर गुफ़्त आरे-ओ-लेकिन हम ब-बीं

    जेहद-हा-ए-अंबिया-ओ-मोमिनीं

    शेर ने कहा दुरुस्त है, लेकिन ये भी तो देख

    अंबिया और रसूलों की कोशिशें

    हक़ ता'ला जहद-ए-शाँ रा रास्त कर्द

    आँ-चे दीदंद अज़ जफ़ा-ओ-गर्म-ओ-सर्द

    अल्लाह ने उनकी कोशिश दुरुस्त कर दी

    जो कुछ उन्होंने ज़ुल्म और गर्म-ओ-सर्द देखा

    हील:-हा शाँ जुम्ल: हाल आमद लतीफ़

    कुल्लु-शैइन मिन ज़रीफ़िन हू ज़रीफ़

    बहर-हाल उनकी तदबीरें, पाकीज़ा साबित हुईं

    भले की हर शय भली होती है

    दाम-हा शाँ मुर्ग़-ए-गर्दूनी गिरफ़्त

    नक़्स-हा शाँ जुम्ल: अफ़्ज़ूनी गिरफ़्त

    उनके जालों ने आसमानी परिंदे पकड़े

    उनकी तमाम कमियों ने, तरक़्कियाँ हासिल कर लीं

    जहद मी कुन ता तवानी किया

    दर तरीक़-ए-अंबिया-ओ-औलिया

    ’अक़्ल-मंद जिस क़दर भी हो सके कोशिश कर

    अंबिया और औलिया के तरीक़ा पर

    बा-क़ज़ा पंज: ज़दन न-बुवद जिहाद

    ज़ाँ-कि ईं रा हम क़ज़ा बर मा निहाद

    जिहाद, तक़दीर-ए-इलाही का मुक़ाबला नहीं है

    इसलिए कि ये भी तक़दीर-ए-इलाही ने हम पर रखा है

    काफ़िरम मन गर ज़ियाँ कर्दस्त कस

    दर रह-ए-ईमान-ओ-ता'अत यक-नफ़स

    मैं काफ़िर हूँ, अगर किसी ने नुक़्सान उठाया हो

    ईमान और ’इता’अत के रास्ता में, थोड़ी देर के लिए भी

    सर शिकस्तः नीस्त ईं सर रा म-बंद

    यक दो रोज़े जेहद कुन बाक़ी ब-ख़ंद

    (तेरा) सर फटा हुआ नहीं है, ख़बरदार सर को बाँध

    एक दो रोज़ कोशिश कर ले फिर आराम उठा

    बद मुहाले जुस्त कू दुनिया ब-जुस्त

    नेक हाले जुस्त कू 'उक़्बा ब-जुस्त

    जिसने दुनिया की जुस्तुजू की उसने बातिल की जुस्तुजू की

    जिसने आख़िरत की जुस्तुजू की उसने अच्छी हालत की जुस्तुजू की

    मक्र-हा दर कस्ब-ए-दुनिया बार-ए-दस्त

    मक्र-हा दर तर्क-ए-दुनिया वार-ए-दस्त

    दुनियावी काम में तदबीर करना बे-कार है

    दुनिया छोड़ने में, तदबीर करना मंक़ूल है

    मकर आँ बाशद कि ज़िंदाँ हुफ़्रः कर्द

    आँ-कि हुफ़्रः-ए-बस्त आँ मक्रेस्त सर्द

    तदबीर ये है कि क़ैद-ख़ाना में सुरंग लगा दी

    जिसने सुरंग बंद कर दी ये ग़लत तदबीर है

    ईं जहाँ ज़िंदान-ओ-मा ज़िंदानियाँ

    हुफ़्रः कुन ज़िंदान-ओ-ख़ुद रा वारहाँ

    ये दुनिया क़ैद-ख़ाना है, और हम क़ैदी हैं

    क़ैद-ख़ाना में सुरंग बना ले और अपने आपको छुड़ा ले

    चीस्त दुनिया अज़ ख़ुदा ग़ाफ़िल बुदन

    बे-क़िमाश-ओ-नुक़्रः-ओ-मीज़ान-ओ-ज़न

    दुनिया क्या है? अल्लाह से ग़ाफ़िल होना

    कि साज़-ओ-सामान और चाँदी और बच्चे, बीवी

    माल रा कज़ बहर-ए-दीं बाशी हमूल

    ने'मा मालुन सालेहुन ख़्वांदश रसूल

    वो माल दीन के लिए तू जिसका बार-बर-दार हो

    उसको रसूलुल्लाह ने बेहतरीन अच्छा माल फ़रमाया है

    आब दर कश्ती हलाक-ए-कश्ती अस्त

    आब अंदर ज़ेर-ए-कश्ती पुश्ती अस्त

    कश्ती में पानी भरना, कश्ती की तबाही है

    कश्ती के नीचे पानी का होना, कश्ती के लिए मदद-गार है

    चूँ-कि माल-ओ-मुल्क रा अज़ दिल बर अन्द

    ज़ाँ सुलैमाँ ख़्वेश जुज़ मिस्कीं न-ख़्वांद

    चूँकि माल और मुल्क को दिल से निकाल दिया था

    इसलिए (हज़रत) सुलैमान (’अलैहिस्सलाम) ने अपने आपको मिस्कीन के ’अलावा कुछ कहा

    कूज़ः-ए-सर-बस्तः अंदर आब-ए-रफ़्त

    अज़ दिल-ए-पुर-बाद फ़ौक़-ए-आब रफ़्त

    सर बंधा प्याला, गहरे पानी में गया

    और हवा से पेट भरा होने की वजह से पानी पर तैरा

    बाद-ए-दरवेशी चु दर बातिन बुवद

    बर सर-ए-आब-ए-जहाँ साकिन बुवद

    जब दिल में फ़क़ीरी की हवा भरी होगी

    दुनिया के पानी के ऊपर, पुर-सुकून होगा

    गर-चे जुम्लः ईं जहाँ मुल्क-ए-वै-अस़्त

    मुल्क दर चश्म-ए-दिल-ए-ऊ ला-शै-अस्त

    ख़्वाह ये तमाम दुनिया उसकी मिल़्क हो

    सल्तनत उसके दिल की निगाह में हेच है

    पस दहान-ए-दिल ब-बंद-ओ-मोहर कुन

    पुर-कुनश अज़ बाद-ए-गीर-ए-मिं-लदुन

    पस दिल का दहाना बंद कर, और मुहर लगा

    मिल-लदुन के दरीचा से उसको भर ले

    जहद हक़-अस्त-ओ-दवा हक़स्त-ओ-दर्द

    मुंकिर अंदर जहद-ए-जहदश जहद कर्द

    कोशिश हक़ है, और दवा करना हक़ है, और दर्द हक़ है

    मुंकिर अपनी कोशिश की नफ़ी में कोशाँ है

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