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Sufinama

जम' शुदन-ए-नख़चीराँ गिर्द-ए-ख़रगोश-ओ-सना गुफ़्तन ऊ रा

रूमी

जम' शुदन-ए-नख़चीराँ गिर्द-ए-ख़रगोश-ओ-सना गुफ़्तन ऊ रा

रूमी

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    जम' शुदन-ए-नख़चीराँ गिर्द-ए-ख़रगोश-ओ-सना गुफ़्तन रा

    शिकारों का ख़रगोश के पास जमा होना और उस की मदह-ओ-सना करना

    जम' गश्तन्द आँ ज़माँ जुमल: वुहूश

    शाद-ओ-ख़ंदाँ अज़ तरब दर ज़ौक़-ओ-जोश

    इस वक़्त सब वहशी जमा हो गए

    ज़ौक़-ओ-जोश और मुसर्रत के आलम में हंसी ख़ुशी

    हल्क़ः कर्दन्द चु शम'-ए-दरमियाँ

    सज्द: कर्दंदश हमः सहरा-ए-याँ

    उन्होंने हलक़ा कर लिया, वो शम्मा की तरह दरमियान में था

    और तमाम सहराई जानवरों ने उसकी ताज़ीम की

    तू फ़रिश्तः-ए-आसमानी या परी

    ने तु 'इज़्राईल शेरान-ए-नरी

    तो आसमानी फ़रिश्ता है या परी है

    या तू नर शेरों का मलकुल मौत है

    हर चे हस्ती जान-ए-मा क़ुर्बान-ए-तुस्त

    दस्त-बुर्दी दस्त-ओ-बाज़ूयत दुरुस्त

    तो जो कुछ भी है हमारी जान तुझ पर क़ुर्बान है

    तेरे दस्त-ओ-बाज़ू का ग़लबा दुरुस्त है

    राँद हक़ ईं आब रा दर जू-ए-तू

    आफ़रीं बर दस्त-ओ-बर बाज़ू-ए-तू

    अल्लाह ने ये पानी तेरी नहर में बहाया

    तेरे दस्त-ओ-बाज़ू को शाबाश है

    बाज़ गो ता चूँ सगालीदी ब-मक्र

    आँ 'अवाँ रा चूँ ब-मालीदी ब-मक्र

    ये तो कहो कि तूने ये तदबीर किस तरह सोची

    उस ज़ालिम को चालाकी से तूने कैसे पामाल किया

    बाज़ गो ता क़िस्सः-ए-दरमान-हा शवद

    बाज़ गो ता मरहम-ए-जान-हा शवद

    फिर कहो ताकि ये क़िस्सा (हमारे दर्द का) ईलाज बन जाए

    फिर कहो ताकि जानों का मरहम बन जाये

    बाज़ गो कज़ ज़ुल्म-ए-आँ इस्तम नुमा

    सद हज़ाराँ ज़ख़्म दारद जान-ए-मा

    फिर कहो, क्योंकि उस ज़ालिम के ज़ुल्म से

    हमारी जान मैं हज़ारों ज़ख़्म हैं

    गुफ़्त ताईद-ए-ख़ुदा बूद महान

    वर्नः ख़रगोशे कि बाशद दर जहान

    उस ने कहा बुज़र्ग़ो ख़ुदा की ताईद थी

    वर्ना ख़रगोश दुनिया में क्या चीज़ है

    क़ुव्वतम बख़्शीद-ओ-दिल रा नूर दाद

    नूर-ए-दिल मर दस्त-ओ-पा रा ज़ोर दाद

    उस ने मुझे क़ूव्वत अता फ़रमाई और दिल को नूर दिया

    दिल के नूर ने हाथ और पैर को ताक़त दे दी

    अज़ बर-ए-हक़ मी रसद तफ़्ज़ील-हा

    बाज़ हम अज़ हक़ रसद तब्दील-हा

    फ़ज़ीलतें अल्लाह की जानिब से मिलती हैं

    फिर ख़ुदा की जानिब से ही तबदीलियाँ हो जाती हैं

    हक़ ब-दौर-ओ-नौबत ईं ताईद रा

    मी नुमायद अहल-ए-ज़न-ओ-दीद रा

    बारी, बारी से अल्लाह ताला ये ताईद

    दिखा देता है अहल-ए-गुमान और अहल-ए-मुशाहिदा को

    हीं ब-मुल्क-ए-नौबती शादी म-कुन

    तु बस्तः-ए-नौबत आज़ादी म-कुन

    ख़बरदार! बारी वाली सलतनत पर ख़ुश हो

    मुख़ातब तू बारी से वाबस्ता है (इज़हार) आज़ादी कर

    आँ-कि मुल्कश बरतर अज़ नौबत तनंद

    बरतर अज़ हफ़्त अंजुमश नौबत ज़नंद

    जिसकी सलतनत बारी से बाला-ए-तर क़ायम करते हैं

    अस का नक़्क़ारा सात सितारों से ऊपर बजाते हैं

    बरतर अज़ नौबत मुलूक-ए-बाक़ी अन्द

    दूर-ए-दाइम रूह-हा बा-साक़ी अन्द

    बारी से बुलन्द, वो बाक़ी रहने वाले बादशाह हैं

    जो दाइमी दौर के साथ रूह के साक़ी हैं

    तर्क-ए-ईं शुर्ब अर ब-गोई यक दो रोज़

    दर कशी अंदर शराब-ए-ख़ुल्द पोज़

    एक दो रोज़ अगर तो इस शराब को छोड़ दे

    जन्नत की शराब से मुह तर करे

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