जम' शुदन-ए-नख़चीराँ गिर्द-ए-ख़रगोश-ओ-सना गुफ़्तन ऊ रा
शिकारों का ख़रगोश के पास जमा होना और उस की मदह-ओ-सना करना
जम' गश्तन्द आँ ज़माँ जुमल: वुहूश
शाद-ओ-ख़ंदाँ अज़ तरब दर ज़ौक़-ओ-जोश
इस वक़्त सब वहशी जमा हो गए
ज़ौक़-ओ-जोश और मुसर्रत के आलम में हंसी ख़ुशी
हल्क़ः कर्दन्द ऊ चु शम'-ए-दरमियाँ
सज्द: कर्दंदश हमः सहरा-ए-याँ
उन्होंने हलक़ा कर लिया, वो शम्मा की तरह दरमियान में था
और तमाम सहराई जानवरों ने उसकी ताज़ीम की
तू फ़रिश्तः-ए-आसमानी या परी
ने तु 'इज़्राईल शेरान-ए-नरी
तो आसमानी फ़रिश्ता है या परी है
या तू नर शेरों का मलकुल मौत है
हर चे हस्ती जान-ए-मा क़ुर्बान-ए-तुस्त
दस्त-बुर्दी दस्त-ओ-बाज़ूयत दुरुस्त
तो जो कुछ भी है हमारी जान तुझ पर क़ुर्बान है
तेरे दस्त-ओ-बाज़ू का ग़लबा दुरुस्त है
राँद हक़ ईं आब रा दर जू-ए-तू
आफ़रीं बर दस्त-ओ-बर बाज़ू-ए-तू
अल्लाह ने ये पानी तेरी नहर में बहाया
तेरे दस्त-ओ-बाज़ू को शाबाश है
बाज़ गो ता चूँ सगालीदी ब-मक्र
आँ 'अवाँ रा चूँ ब-मालीदी ब-मक्र
ये तो कहो कि तूने ये तदबीर किस तरह सोची
उस ज़ालिम को चालाकी से तूने कैसे पामाल किया
बाज़ गो ता क़िस्सः-ए-दरमान-हा शवद
बाज़ गो ता मरहम-ए-जान-हा शवद
फिर कहो ताकि ये क़िस्सा (हमारे दर्द का) ईलाज बन जाए
फिर कहो ताकि जानों का मरहम बन जाये
बाज़ गो कज़ ज़ुल्म-ए-आँ इस्तम नुमा
सद हज़ाराँ ज़ख़्म दारद जान-ए-मा
फिर कहो, क्योंकि उस ज़ालिम के ज़ुल्म से
हमारी जान मैं हज़ारों ज़ख़्म हैं
गुफ़्त ताईद-ए-ख़ुदा बूद ऐ महान
वर्नः ख़रगोशे कि बाशद दर जहान
उस ने कहा ए बुज़र्ग़ो ख़ुदा की ताईद थी
वर्ना ख़रगोश दुनिया में क्या चीज़ है
क़ुव्वतम बख़्शीद-ओ-दिल रा नूर दाद
नूर-ए-दिल मर दस्त-ओ-पा रा ज़ोर दाद
उस ने मुझे क़ूव्वत अता फ़रमाई और दिल को नूर दिया
दिल के नूर ने हाथ और पैर को ताक़त दे दी
अज़ बर-ए-हक़ मी रसद तफ़्ज़ील-हा
बाज़ हम अज़ हक़ रसद तब्दील-हा
फ़ज़ीलतें अल्लाह की जानिब से मिलती हैं
फिर ख़ुदा की जानिब से ही तबदीलियाँ हो जाती हैं
हक़ ब-दौर-ओ-नौबत ईं ताईद रा
मी नुमायद अहल-ए-ज़न-ओ-दीद रा
बारी, बारी से अल्लाह ताला ये ताईद
दिखा देता है अहल-ए-गुमान और अहल-ए-मुशाहिदा को
हीं ब-मुल्क-ए-नौबती शादी म-कुन
ऐ तु बस्तः-ए-नौबत आज़ादी म-कुन
ख़बरदार! बारी वाली सलतनत पर ख़ुश न हो
ए मुख़ातब तू बारी से वाबस्ता है (इज़हार) आज़ादी न कर
आँ-कि मुल्कश बरतर अज़ नौबत तनंद
बरतर अज़ हफ़्त अंजुमश नौबत ज़नंद
जिसकी सलतनत बारी से बाला-ए-तर क़ायम करते हैं
अस का नक़्क़ारा सात सितारों से ऊपर बजाते हैं
बरतर अज़ नौबत मुलूक-ए-बाक़ी अन्द
दूर-ए-दाइम रूह-हा बा-साक़ी अन्द
बारी से बुलन्द, वो बाक़ी रहने वाले बादशाह हैं
जो दाइमी दौर के साथ रूह के साक़ी हैं
तर्क-ए-ईं शुर्ब अर ब-गोई यक दो रोज़
दर कशी अंदर शराब-ए-ख़ुल्द पोज़
एक दो रोज़ अगर तो इस शराब को छोड़ दे
जन्नत की शराब से मुह तर करे
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