Sufinama

तर्जीह निहादन-ए-नख़्चीराँ तवक्कुल रा बर इज्तिहाद

रूमी

तर्जीह निहादन-ए-नख़्चीराँ तवक्कुल रा बर इज्तिहाद

रूमी

MORE BYरूमी

    तर्जीह निहादन-ए-नख़्चीराँ तवक्कुल रा बर इज्तिहाद

    फिर शिकारों का तवक्कुल को कोशिश और कमाई पर तर्जीह देना

    क़ौम गुफ़्तंदश कि कस्ब अज़ ज़ो'फ़-ए-क़ल्ब

    लुक़्मः-ए-तज़्वीर दाँ बर क़द्र-ए-हल्क़

    क़ौम ने उससे कहा कि कोशिश लोगों की कमज़ोरी की वजह से है

    और उस को ब-क़द्र-ए-हल्क़ फ़रेब का लुक़्मा समझ

    नीस्त कस्बे अज़ तवक्कुल ख़ूब-तर

    चीस्त अज़ तस्लीम ख़ुद महबूब-तर

    बहुत से लोग एक मुसीबत से दूसरी मुसीबत की तरफ़ भागते हैं

    बहुत लोग साँप से अज़्दहे की तरफ़ कूदते हैं

    बस गुरेज़न्द अज़ बला सू-ए-बला

    बस जहंद अज़ मार सू-ए-अझ़दहा

    इन्सान ने तदबीर की और उसकी तदबीर जाल थी

    जिसको जान समझा वो ख़ून पीने वाली थी

    हीलः कर्द इंसान-ओ-हीलः-अश दाम बूद

    आँ-कि जाँ पिंदाश्त ख़ूँ आशाम बूद

    (उसने) दरवाज़ा बंद कर लिया और दुश्मन घर ही में था

    फ़िर’औन की तदबीर इसी क़िस्म की थी

    दर ब-बस्त-ओ-दुश्मन अंदर ख़ानः बूद

    हीलः-ए-फ़िर'औन ज़ीं अफ़्सानः बूद

    उस कीना वाले ने लाखों बच्चे मार डाले

    और जिसको वो तलाश करता था उसके घर में था

    सद हज़ाराँ तिफ़्ल कुश्त आँ कीनः-कश

    वाँ-कि मी जुस्त अंदर ख़ानः-अश

    जब कि हमारी निगाह में बड़ी ख़राबियाँ हैं

    जा, अपनी सवाब-दीद को दोस्त की सवाब-दीद में फ़ना कर दे

    दीदः-ए-मा चूँ बसे 'इल्लत दरूस्त

    रौ फ़ना कुन दीद-ए-ख़ुद दर दीद-ए-दोस्त

    उसकी सवाब-दीद हमारी सवाब-दीद का बेहतरीन बदल है

    उसकी सवाब-दीद में तमाम मक़ासिद मौजूद हैं

    दीद-ए-मा रा दीद-ए-ऊ ने'मल-'इवज़

    याबी अंदर दीद-ए-ऊ कुल्ल-ए-ग़रज़

    बच्चा जब तक पकड़ने वाला और चलने वाला था

    बाबा की गर्दन के ’अलावा उसकी सवारी थी

    तिफ़्ल ता गीरा-ओ-ता पोया न-बूद

    मरकबश जुज़ गर्दन-ए-बाबा नबूद

    लोगों की रूहें, हाथ पैर से पहले

    कमाल की वजह से ’आलम-ए-ग़ैब में परवाज़ करती थीं

    चूँ फ़ुज़ूली गश्त-ओ-दस्त-ओ-पा नुमूद

    दर 'अना उफ़्ताद-ओ-दर कूर-ओ-कबूद

    जब इह्बितू के हुक्म से क़ैदी बन गईं

    ग़ुस्सा और हिर्स और ख़ुशी में गिरफ़्तार हो गईं

    जान-हा-ए-ख़ल्क़ पेश अज़ दस्त-ओ-पा

    मी परीदीद अज़ वफ़ा अंदर सफ़ा

    हम अल्लाह के ’अयाल, और शीर-ख़्वार हैं

    (ख़ुदा) ने फ़रमाया है मख़्लूक़ अल्लाह की ’अयाल है

    चूँ ब-अम्र-ए-इहबितू सन्दी शुदंद

    हब्स-ए-ख़श्म-ओ-हिर्स-ओ-ख़ुर्संदी शुदंद

    जो आसमान से बारिश ’अता फ़रमाता है

    ये भी कर सकता है कि वो करम से रोटी दे दे

    मा 'अयाल-ए-हस्रनेम-ओ-शीर-ख़्वाह

    गुफ़्त अल-ख़ल्क़ु 'अयालुन लिल-इलाह

    आँ-कि अज़ आसमाँ बाराँ देहद

    हम तवानद कू ज़ रहमत नाँ देहद

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

    GET YOUR PASS
    बोलिए