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वली ’अहद साख़्तन-ए-वज़ीर हर यक अमीर रा जुदा-जुदा

रूमी

वली ’अहद साख़्तन-ए-वज़ीर हर यक अमीर रा जुदा-जुदा

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    रोचक तथ्य

    हिंदी अनुवाद: सज्जाद हुसैन

    वली 'अहद साख़्तन-ए-वज़ीर हर यक अमीर रा जुदा-जुदा

    वली-ए-’अहद बनाना वज़ीर का हर सरदार को ‘अलाहिदा-‘अलाहिदा

    वाँगहाने आँ अमीराँ रा ब-ख़्वाँद

    यक-ब-यक तन्हा ब-हर यक हर्फ़ राँद

    तब उन अमीरों को बुलाया

    और एक-एक कर के तन्हाई में हर एक से बात की

    गुफ़्त हर-यक रा ब-दीन-ए-'ईसवी

    नाइब-ए-हक़्क़-ओ-ख़लीफ़ः मन तुई

    हर एक से कहा कि ’ईसवी दीन में

    अल्लाह का नाइब और मेरा ख़लीफ़ा तू ही है

    वाँ अमीरान-ए-दिगर 'अत्बा'-ए-तू

    कर्द 'ईसा जुम्लः रा 'अश्या-ए-तू

    और दूसरे अमीर, तेरे ताबे’ हैं

    हज़रत-ए-’ईसा ने सबको तेरा पैरौ बना दिया है

    हर अमीरे कू कशद गर्दन ब-गीर

    या ब-कुश या ख़ुद हमी दारश असीर

    जो अमीर सर-कशी करे उसको गिरफ़्तार कर ले

    या मार डाल या उसको अपना क़ैदी बना ले

    लैक ता मन ज़िंदाः-अम ईं वा म-गो

    ता न-मीरम ईं रियासत रा म-जो

    लेकिन जब तक मैं ज़िंदा हूँ ये बात कहना

    जब तक मैं मर जाऊँ इस सरदारी की कोशिश करना

    ता न-मीरम मन तु ईं पैदा म-कुन

    दा'वा-ए-शाही-ओ-इस्तीला म-कुन

    जब तक मैं मरूँ ये ज़ाहिर करना

    बादशाही और ग़लबा का दा’वा करना

    ईं-कि ईं तूमार-ओ-अहकाम-ए-मसीह

    यक-ब-यक बर ख़्वाँ तु बर उम्मत फ़सीह

    अब ये दफ़्तर और हज़रत मसीह के अहकाम

    एक-एक कर के साफ़ तौर पर क़ौम के सामने पढ़ दे

    हर अमीरे रा चुनीं गुफ़्त जुदा

    नीस्त नाइब जुज़ तु दर दीन-ए-ख़ुदा

    हर अमीर से ’अलाहिदा-’अलाहिदा ऐसा ही कहा

    कि ख़ुदा के दीन में तेरे सिवा कोई नाइब नहीं है

    हर यके रा कर्द यक-यक 'अज़ीज़

    हर चे आँ-रा गुफ़्त ईं रा गुफ़्त नीज़

    हर एक को उसने एक-एक कर के मु’अज़्ज़ज़ बनाया

    जो उस से कहा इस से भी कहा

    हर यके रा यके तूमार दाद

    हर यके ज़िद्द-ए-दिगर बूद अल-मुराद

    हर एक को उसने दफ़्तर दे दिया

    और हर एक का मक़्सद दूसरे के ख़िलाफ़ था

    जुम्लगी तूमार-हा बुद मुख़्तलिफ़

    हम-चु शक्ल-ए-हर्फ़-हा या ता अलिफ़

    उन दफ़्तरों की ’इबारतें बा-हम मुख़्तलिफ़ थीं

    जैसा कि अलिफ़, बा,ता के हुरूफ़

    हुक्म-ए-ईं तूमार ज़िद्द-ए-हुक्म-ए-आँ

    पेश अज़ीं कर्देम ज़िद्द-ए-रा बयाँ

    इस दफ़्तर का हुक्म उस दफ़्तर के ख़िलाफ़ था

    और इस इख़्तिलाफ़ को हम पहले भी बयान कर चुके हैं

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