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Sufinama

ऐ मिरे दाता ऐ मिरे मालिक ऐ मिरे मौला ऐ मिरे वाली

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

ऐ मिरे दाता ऐ मिरे मालिक ऐ मिरे मौला ऐ मिरे वाली

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

MORE BYख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

    रोचक तथ्य

    مناجات۔

    मिरे दाता मिरे मालिक मिरे मौला मिरे वाली

    शाहंशाह-ए-दो-'आलम तू है सब से तिरी सरकार है 'आली

    शान तिरी हर आन नई है गाह जमाली गाह जलाली

    वो भी 'अजब ख़ुश-वक़्त है जिस ने क़ल्ब में तेरी याद बसा ली

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    कसब में दुनिया ही के रहा मैं दीन की दौलत कुछ कमाई

    वक़्त यूँही बे-कार गुज़ारा 'उम्र यूँही ग़फ़लत में गँवाई

    ख़ल्क़ में सब से मैं ही बुरा हूँ कोई नहीं है मुझ में भलाई

    मुझ सा कोई बद-कार होगा कौन सी मैं ने की बुराई

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    ज़िक्र की अब तौफ़ीक़ हो या-रब काम का ये नाकाम हो तेरा

    क़ल्ब में हर दम याद हो तेरी लब पे हमेशा नाम हो तेरा

    तुझ से बहुत रहता है गुरेज़ाँ अब दिल-ए-वहशी राम हो तेरा

    मुझ को अब इस्तिक़्लाल 'अता कर पुख़्ता बस अब ये ख़ाम हो तेरा

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    ज़िक्र तिरा कर कर के इलाही दूर करूँ मैं दिल की सियाही

    छोड़ कर हुब्ब-ए-माली-ओ-जाही अब तो करूँ बस फ़क़्र में शाही

    शाम-ओ-सहर है शुग़्ल-ए-मनाही मेरे गुनह हैं ला-मुतनाही

    किस से कहूँ मैं अपनी तबाही तू ही मिरी कर पुश्त-पनाही

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    नफ़्स के शर से मुझ को बचा ले मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    पंजा-ए-ग़म से मुझ को छुड़ा ले मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    सुन मिरे नाले सुन मिरे नाले मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    अपना बना ले अपना बना ले मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    अपनी रज़ा में मुझ को मिटा दे मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    कर दे फ़ना सब मेरे इरादे मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    जाम-ए-मोहब्बत अपना पिला दे मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    दिल में मिरी याद अपनी रचा दे मिरे अल्लाह मिरे अल्लाह

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    दीदा-ओ-दिल में तुझ को बसा लूँ सब से हटा लूँ अपनी नज़र मैं

    तेरा ही जल्वा पेश-ए-नज़र हो जाऊँ कहीं मैं देखूँ जिधर मैं

    तेरा तसव्वुर ऐसा जमा लूँ क़ल्ब में मिस्ल-ए-नक़्श-ए-हिज्र मैं

    भूल सकूँ ता 'उम्र तुझ को चाहूँ भुलाना ख़ुद भी अगर मैं

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    ज़ात है तेरी सब से निराली शान है तेरी फ़हम से 'आली

    उस को तेरी वहदत है मुशाहिद जिस का है दिल अग़्यार से ख़ाली

    तेरे शवाहिद बहर-ओ-बर गर्दूं ज़मीं अय्याम-ओ-लयाली

    ज़र्रा ज़र्रा क़तरा क़तरा पत्ता पत्ता डाली डाली

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    कुन्ह तिरी है फ़हम से 'आली वस्फ़ तिरा है 'अक़्ल से बाला

    तेरे हैं लाखों मानने वाले कोई नहीं है जानने वाला

    तेरी मोहब्बत रूह की लज़्ज़त तेरा तसव्वुर दिल का उजाला

    नुत्क़ ने मेरे चूम लिए लब नाम तिरा जब मुँह से निकाला

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

    अपना मुझे 'मज्ज़ूब' बना ले तेरा ही सौदा हो मिरे सर में

    तेरी मोहब्बत हो रग-ओ-पै में जान में तन में दिल में जिगर में

    शाद रहूँ मैं रंज-ओ-ख़ुशी में सूद-ओ-ज़ियाँ में नफ़'-ओ-ज़रर में

    फ़र्क़ देखूँ शाह-ओ-गदा में दुर्र-ओ-सदफ़ में ला'ल-ओ-हजर में

    शुग़्ल मिरा बस अब तो इलाही शाम-ओ-सहर हो अल्लाह अल्लाह

    लेटे-बैठे चलते-फिरते आठ-पहर हो अल्लाह अल्लाह

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    शैख़ ख़लीलुर रहमान

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