Sufinama

ऐ मिरे मौला मेरी नज़र में तू ही तू हो तू ही तू

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

ऐ मिरे मौला मेरी नज़र में तू ही तू हो तू ही तू

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

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    मिरे मौला मेरी नज़र में तू ही तू हो तू ही तू

    सब तो हों बाहर दिल के अंदर तू ही तू हो तू ही तू

    क़ल्ब-ए-तपाँ में दीदा-ए-तर में तू ही तू हो तू ही तू

    मेरे लिए तो बहर-ओ-बर में तू ही तू हो तू ही तू

    कुछ सुझाई दे मुझे हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    सूझे मुझ को दोनों जहाँ में तू ही तू बस तू ही तू

    सूझे मुझ को कौन-ओ-मकाँ में तू ही तू बस तू ही तू

    सूझे मुझ को क़ालिब-ओ-जाँ में तू ही तू बस तू ही तू

    सूझे मुझ को सूद-ओ-ज़ियाँ में तू ही तू बस तू ही तू

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    जान से भी जो मुझ को है प्यारा तू है तू हाँ तू है तू

    जिस के लिए सब कुछ है गवारा तू है तू हाँ तू है तू

    दोनों जहाँ में मेरा सहारा तू है तू हाँ तू है तू

    मेरी नाउ का खेवन-हारा तू है तू हाँ तू है तू

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    जूद-ओ-करम की शान-ए-गदा को खुल कर अब शाह दिखा

    क़ुर्ब-ए-ख़ास ’अता फ़रमा ऐवान की अपने राह दिखा

    जल्वा अब तो खुले बंदों ही बस मेरे माह दिखा

    पर्दा उठा दे नूर अपना हर वक़्त दिखा हर गाह दिखा

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    आए नज़र ज़र्रा ज़र्रा में साफ़ तेरी क़ुदरत मुझ को

    'आलम-ए-कसरत भी हो जाए आईना-ए-वहदत मुझ को

    बाग़-ए-जहाँ में तो महसूस अब हो मिस्ल-ए-नकहत मुझ को

    मश्क़-ए-तसव्वुर इतनी बढ़े जल्वत भी हो इक ख़ल्वत मुझ को

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    ऐसा समा जा मेरी नज़र में जल्वा तिरा देखूँ हर सू

    ग़ैबत दम-भर को भी हो हर वक़्त रहूँ मैं रू-दर-रू

    मेरे लिए बाज़ार-ए-जहाँ हो सर-ब-सर इक मैदान-ए-हू

    तू ही तू हो तू ही तू हो तू ही तू हो तू ही तू

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    फ़ज़्ल-ओ-करम से अपने 'अता कर ज़िंदगी-ए-जावेद मुझे

    नफ़्स से ना-उमीद हूँ मैं तुझ से है मगर उम्मीद मुझे

    अब तो सरापा दीद बना दे तेरा शौक़-ए-दीद मुझे

    हर शय इक आईना हो हर ज़र्रा हो इक ख़ुर्शीद मुझे

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    ज़र्रा-ज़र्रा क़तरा-क़तरा रत्ब-ओ-याबिस बहर-ओ-बर

    नूर-ओ-नार-ओ-औज-ओ-पस्ती कुफ़्र-ओ-ईमाँ ख़ैर-ओ-शर

    एक ज़बाँ होकर ये सब के सब देते हैं तेरी ख़बर

    तेरे आगे हेच है हर शय तू ही है सब से बरतर

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    मेरी नज़र में सब यकसाँ हों कोई गदा हो या हो शाह

    हों ज़रा मर’ऊब किसी से कोई हो कितना ही ज़ी-जाह

    राज़-ए-वहदत से तू कर दे दिल को मेरे या-रब आगाह

    मेरे लिए हो जाएँ बराबर बाग़-ओ-सहरा कोह-ओ-काह

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

    बंदा-ए-मक़बूल अपना बना और कर कभी मरदूद मुझे

    बख़्श ख़ुदाया हुस्न-ए-ख़िताम-ओ-’आक़िबत महमूद मुझे

    जल्वा तिरा उस तूर से हो हर लहज़ा बस अब मशहूद मुझे

    तेरे सिवा 'आलम में नज़र आए कोई मौजूद मुझे

    कुछ सुझाई दे मुझ को हरगिज़ लाख हों मंज़र पेश-ए-निगाह

    इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह इल-लल्लाह

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    युनुस पटेल

    युनुस पटेल

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