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ऐ शाफ़े-ए’-तर दामनाँ-ओ- वै चारा-ए-दर्द-ए-निहाँ

अहमद रज़ा ख़ान

ऐ शाफ़े-ए’-तर दामनाँ-ओ- वै चारा-ए-दर्द-ए-निहाँ

अहमद रज़ा ख़ान

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    शाफ़े-ए'-तर दामनाँ-ओ- वै चारा-ए-दर्द-ए-निहाँ

    जान-ए-दिल-ओ-रूह-ए-रवाँ या'नी शह-ए-अ'र्श आस्ताँ

    हे पापियों के पक्ष में सिफ़ारिश करने वाले, हे दुखियों के उपचारक, हे हृदय की जान और आत्मा की शोभा, अर्थात् आकाश के सम्राट।

    जान-ए-मन जानान-ए-मन हम दर्द-ओ-हम दरमान-ए-मन

    दीन-ए-मन-ओ-ईमान-ए-मन अम्न-ओ-अमान-ए-उम्मताँ

    हे मेरी जान, मेरे प्रियतम, मेरे दुख और मेरे उपचार, मेरा धर्म, मेरा ईमान, मेरा सुख और उम्मत(समुदाय) का सहारा।

    गुल मस्त शुद अज़ बू-ए-तू बुलबुल फ़िदा-ए-रू-ए-तू

    सुम्बुल निसार-ए-मू-ए-तू तूती ब-यदत नग़्मः-ख़्वाँ

    फूल तुम्हारी सुगंध से मतवाले हैं और बुलबुल तुम्हारे मुख पर निछावर है,

    सुंबुल तुम्हारे पवित्र केशों पर कुर्बान है और तूती तुम्हारी याद में गान करता है।

    दर हिज्र-ए-तू सोज़ाँ दिलम पार: जिगर अज़ रंज-ओ-ग़म

    सद दाग़ सीनः अज़ अलम वज़ चश्म दरियाए रवाँ

    मेरा हृदय तुम्हारी याद में सुलगता है और जिगर शोक से टुकड़े-टुकड़े है, दुख की अग्नि से सीने पर सैकड़ों दाग़ हैं और आँखों से नदी बहती है।

    बहर-ए-ख़ुदा मरहम ब-नेह अज़ कार-ए-मन ब-कुशा गिरह

    फ़रियाद-रस दादे ब-देह दस्ते ब-मा उफ़्ताद-गाँ

    ख़ुदा के लिए मरहम लगाओ, हमारी मुश्किल की गाँठ खोलो, मेरी पुकार सुनो और सहायता करो, हम मजबूरों को सहारा दो।

    मौला ज़े-पा उफ़्ताद:-अम दारम शहा चश्मे करम

    महर-ए-अ'रब माह-ए-अ'जम रहमे ब-हाल-ए-बंदगाँ

    मौला, मैं अत्यन्त विवश हूँ, बादशाह, मैं कृपा-दृष्टि का मोहताज हूँ, अरब के सूरज और अजम के चन्द्रमा, भक्तों पर दया करो।

    शक्कर ब-देह गर यक सुख़न तल्ख़स्त बर मन जान-ए-मन

    बार-ए-नक़ाब अज़ रुख़ फ़िगन बहर-ए-रज़ाए ख़स्ता-जाँ

    मेरी जान घोर मुश्किल में स्वादहीन हो गयी है, ज़रा मिठास भर दो, पीड़ित रज़ा के लिए अपने चेहरे से नक़ाब हटा दो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नग़्मात-ए-सिमा (पृष्ठ 308)
    • प्रकाशन : नूरुलहसन मौदूदी साबरी (1935)

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