ब-देह दस्त-ए-यक़ीं ऐ दिल ब-दस्त-ए-शाह-ए-जीलानी
ब-देह दस्त-ए-यक़ीं ऐ दिल ब-दस्त-ए-शाह-ए-जीलानी
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
MORE BYशाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ब-देह दस्त-ए-यक़ीं ऐ दिल ब-दस्त-ए-शाह-ए-जीलानी
कि दस्त-ए-ऊ बुवद अंदर हक़ीक़त दस्त-ए-यज़्दानी
ऐ दिल यक़ीन का हाथ शाह जीलानी के हाथ में दे
क्यूँ कि उन का हाथ हक़ीक़त में अल्लाह का हाथ है
अमीरी दस्त-गीरी ग़ौस-ए-आज़म क़ुतुब-ए-रब्बानी
हबीब-ए-सय्यद-ए-आलम ज़हे महबूब-ए-सुबहानी
आप अमीर, दस्तगीर, ग़ौस-ए-आ’ज़म और ईश्वर के क़ुतुब हैं
हबीब और दुनिया के सरदार हैं अरे वाह महबूब-ए-सुबहानी हैं
निशान-ए-शान-ए-बे-चूनी बयान-ए-सिर्र-ए-मकनूनी
ब-सीरत मिस्ल-ए-पैग़म्बर ब-सूरत मुर्तज़ा सानी
ईश्वर की शान-ओ-शौकत का निशान है, गुप्त रहस्य
का बयान है, चरित्र में रसूल का नमूना, सूरत में मुर्तज़ा के समान है
सरापा जल्वः-ए-हसना तमामी मेहर-ए-ताबानी
कुनद याक़ूबियश गर बाशद ईं जा माह-ए-कनआनी
आप सरापा हुस्न का जल्वा हैं, पूर्ण रूप से रौशन सूरज हैं
अगर यहाँ यूसुफ़ हों तो वो (बजाए मा’शूक़ी) आ’शिक़ी करें
ज़-पा-ए-पाक-ए-ऊ फ़ख़्रेस्त दोश-ए-पाक-बाज़ाँ रा
हयाते ताज़ा ब-गिरिफ़्त: अज़ ऊ दीन-ए- मुसलमानी
उन के पवित्र क़दमों से पाक-बाज़ों के काँधों को फ़ख़्र हासिल है
दीन-ए-इस्लाम ने उन से नई ज़िंदगी पाई
शब-ए-बख़्त-ए-सियह रा ज़र्रा-ए-मेहरश कुनद सुब्हे
फ़रोज़द लम'आ-ए-लुत्फ़श रुख़-ए-शाम-ए-ग़रीबानी
बद-क़िस्मती की अँधेरी रात को उन की कृपा का कण रौशन कर देता है
उन की कृपा की रौशनी मुसाफ़िरों की शाम के चेहरे को रौशन कर देती है
ब-बख़्शंद अज़ रह-ए-फ़य्याज़ी अदना बे-नवाए रा
गदायान-ए-दरश देहीम शाही तख़्त-ए-सुल्तानी
अपनी कृपा से तुच्छ और फ़क़ीरों को नवाज़ते हैं
उन की चौखट के फ़क़ीर बादशाहत ’अता करते हैं
मलाएक तरहक़ू गोयाँ रवंद अंदर रकाब-ए-ऊ
जिलौ-दारी कुनंद ऊ रा ख़वास-ए-इंसी-ओ-जानी
फ़रिश्ते हटो रास्ता दो कहते हुए उन के साथ चलते हैं
इंसानों और जिन्नातों के गिरोह उन के घोड़े की लगाम थामे चलते हैं
'नियाज़' अंदर जनाब-ए-पाक-ए-ऊ अज़ क़ुद्सियाँ बायद
कि आयद जिब्रईल बहर-ए-कारोबार-ए-दरबानी
ऐ ‘नियाज़’ उन की पवित्र बारगाह में मन भी पवित्र होना चाहिए
क्यूँकि वहाँ जिब्रईल दरबानी की ख़िदमत के लिए आते हैं
- पुस्तक : दीवान-ए-नियाज़-ए-बे-नियाज़ (पृष्ठ 105)
- संस्करण : First
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