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Sufinama

मा ख़ाज़िन-ए-ख़ज़ान:-ए-असरार बूदःऐम

रूमी

मा ख़ाज़िन-ए-ख़ज़ान:-ए-असरार बूदःऐम

रूमी

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    मा ख़ाज़िन-ए-ख़ज़ान:-ए-असरार बूदःऐम

    मा सालहा मुसाहिब-ए-दिलदार बूद:-ऐम

    हम रहस्यों के ख़ज़ाना के ख़ज़ान्ची हैं

    हम सालों से दिलदार के साथ रहे हैं

    मा रख़त-ए-ख़ुद ज़े आ'लम-ए-हस्ती कशीद:-ऐम

    दर कू-ए-यार बे-ग़म-ए-अग़्यार बूदःऐम

    हमने अपने सामान ब्रह्मांड से विकसित किये हैं

    यार की गली में, हम अपरिचित व्यक्तियों के ग़म से मुक्त रहे हैं

    आदम हनूज़ दर अ'दम आबाद बुद कि मा

    मस्त-ओ-ख़राब-ए-नर्गिस-ए-आँ यार बूद:-ऐम

    आदम जब परलोक में ही थे तभी से हम

    उस आदमी की आत्ममुग्ध आँखों मस्त और मदहोश रहे हैं

    दर गुलशन-ए-विसाल ब-चंदीं हज़ार साल

    पेश अज़ दो कौन ताइर-ए-तय्यार बूद:-ऐम

    हजारों साल से विसाल के गुलशन में दोनों जगत के

    अस्तित्व में आने से पहले हम उड़ते हुए पक्षी रहे हैं

    अज़ जाम-ए-इ’श्क़ बाद:-ए-वहदत कशीद:-ऐम

    फ़ारिग़ ज़े-साक़ी-ओ-मय-ओ-ख़म्मार बूद:-ऐम

    हम ने ’इश्क़ के पियाले से एकत्व की मदिरा पी है

    हम साक़ी,शराब और शराब पिलाने से बे-परवाह रहे हैं

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