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मनम इमशब सना-ख़्वान-ए-मोहम्मद

मयकश अकबराबादी

मनम इमशब सना-ख़्वान-ए-मोहम्मद

मयकश अकबराबादी

MORE BYमयकश अकबराबादी

    मनम इमशब सना-ख़्वान-ए-मोहम्मद

    सलातुल्लाह बर जान-ए-मोहम्मद

    मैं आज रात हज़रत मोहम्मद की तारीफ़ कर रहा हूँ और उन पर दुरूद और सलाम भेजता हूँ

    ब-गो हमदम कि बाज़ आमद शब-ए-ग़म

    हदीस-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचान-ए-मोहम्मद

    मेरे प्यारे! फिर से दुःख-भरी रात गई

    मेरे नबी के घुंघराले गेसुओं की बात करो

    सलातम बाद बर ख़ूबान-ए-महवश

    निहालान-ए-गुलिस्तान-ए-मोहम्मद

    हज़रत मोहम्मद के बाग़ के सुंदर और नए पौधों पर दुरूद और सलाम हो

    ब-देह साक़ी शराब-ए-सोज़-ए-उल्फ़त

    ब-हक़्क़-ए-कैफ़-ए-चश्मान-ए-मोहम्मद

    साक़ी! मुझे हज़रत मोहम्मद की मस्ती-भरी आँखों के सदक़े ऐसी शराब पिला जो मेरी मोहब्बत के ग़म को और बढ़ाए

    सिफ़त चूँ नीस्त ग़ैर-ए-ज़ात दिल

    ख़ुदा ख़ुद हस्त क़ुरआन-ए-मोहम्मद

    दिल! चूँकि गुण ईश्वर से अलग नहीं है, ख़ुदा ख़ुद हज़रत मोहम्मद का क़ुरआन है

    सबा ज़ीं 'मय-कश'-ए-बीमार-ए-फ़ुर्क़त

    दुआ'ए गो ब-मस्तान-ए-मोहम्मद

    सबा! मोहब्बत के बीमार मयकश की दुआ

    हज़रत मोहम्मद के मस्तानों तक पहुँचा

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    राहत फ़तेह अली ख़ान

    राहत फ़तेह अली ख़ान

    स्रोत :
    • पुस्तक : मयकदः (पृष्ठ 56)
    • रचनाकार : मयकश अकबराबादी
    • प्रकाशन : आगरा अख़बार, आगरा (1931)

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