परतव-ए-महर-ए-क़दीमस्त ईं मह-ए-ताबान-ए-’इश्क़
परतव-ए-महर-ए-क़दीमस्त ईं मह-ए-ताबान-ए-’इश्क़
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
MORE BYशाह नियाज़ अहमद बरेलवी
परतव-ए-महर-ए-क़दीमस्त ईं मह-ए-ताबान-ए-'इश्क़
जल्वा-ए-नूर-ए-कलीमसत आतिश-ए-सोज़ान-ए-'इश्क़
इश्क़ का ये रौशन चाँद अल्लाह के सूरज का प्रतिबिंब है
’इश्क़ की भड़कती हुई आग कलीम के नूर का जल्वा है
दूद-ए-आह-ए-सर-कशी अज़ सीनः-ए-सोज़ान-ए-मन
मद्द-ए-बिस्मिल्लाह बाशद बर-सर-ए-दीवान-ए-'इश्क़
मेरे जलते हुए सीने से उठता विद्रोह का धुवाँ
’इश्क़ की पुस्तक में बिसमिल्लाह की मद है
आ'शिक़ाँ दर बे-नवाई ख़ुस्रवीहा मी-कुनद
शाही-ए-कौनैन दारद बे-सर-ओ-सामान-ए-'इश्क़
लाचारी में ’आशिक़ बादशाहत करते हैं
‘इश्क़ में निर्धन दोनों जहाँ पर हुकूमत करते हैं
दर हरीम-ए-वस्ल-ए-जानाँ दर निहादम चूँ क़दम
हस्तियम रा कर्द बैरूँ अज़ दरश दरबान-ए-इ'श्क़
विसाल के लिए जब मैंने महबूब के घर में क़दम रखा
तो ’इश्क़ के दरबान ने मुझे उस के दरवाज़े से बाहर निकाल दिया
कफ़िर-ए-इ'श्क़म मपुर्स अज़ दीन-ए-मन ऐ हम-नशीं
इ'श्क़ इस्लामस्त-ओ-दीं दर मुल्क-ए-कुफ़रिस्तान-ए-'इश्क़
ऐ दोस्त मैं ‘इश्क़ में काफ़िर हूँ मुझ से मेरे दीन के बारे में न पूछ
‘इश्क़ इस्लाम है और दीन ’इश्क़ के कुफ़्रिस्तान में एक मुल्क
कुश्तः-ए-शमशीर-ए-’इश्क़ अज़ मर्ग-बाशद अल-अमाँ
ज़िंदः-ए-जावेद बाशद मुर्दः-ए-बेजान-ए-'इश्क़
‘इश्क़ की तल्वार का मारा हुआ मौत से सुरक्षित रहता है
और ‘इश्क़ का बेजान मुर्दा अमर रहता है
चश्म-ए-इदराक-ए-ख़िरद रा बहरा-ए-नबुवद 'नियाज़'
अज़ तमाशाए कि बीनद दीदः-ए-हैरान-ए-'इश्क़
ऐ ‘नियाज़’! ’अक़्ल की आँखों को वो नज़ारा नसीब न हो
जो ‘इश्क़ की हैरान आँखें देखती हैं
- पुस्तक : दीवान-ए-नियाज़-ए-बे-नियाज़ (पृष्ठ 70)
- संस्करण : First
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