अगर बर-ख़ेज़द अज़ दस्तम कि बा दिलदार ब-नशीनम
रोचक तथ्य
अनुवाद: शंकर महेशवरी
अगर बर-ख़ेज़द अज़ दस्तम कि बा दिलदार ब-नशीनम
ज़े जाम-ए-वस्ल मय नोशम ज़े बाग़-ए-खु़ल्द गुल चीनम
अगर मुझसे हो सका कि मैं दिलदार के साथ बैठूँ
वस्ल के जाम से शराब पियूँगा जन्नत के बाग़ से फूल चुनूँगा
शराब-ए-तल्ख़-ए-सूफ़ी-सोज़ बुनियादम न-ख़्वाहद बुर्द
लबम बर लब न ऐ साक़ी-ओ-ब-सिताँ जान-ए-शीरीनम
सूफ़ी सोज़-ए-तल्ख़ शराब मेरी जड़ ना उखाड़ सकेगी
ऐ साक़ी मेरे होंट पर होंट रख दे और मेरी शीरीं जान ले-ले
लबत शक्कर ब-मस्ताँ दाद-ओ-चश्मत मय ब-मय-ख़्वाराँ
मनम कज़ ग़ायत-ए-हिरमाँ न ब-आनम न बा ईनम
तेरे होंट ने मस्तों को शकर दी और तेरी आँखों ने शराबियों को शराब
मैं हूँ कि इंतिहाई महरूमी की वजह से न उस में हूँ न इस में हूँ
मगर दीवान: ख़्वाहम शुद दरीं सौदा कि शब ता रोज़
सुख़न बा माह मी-गोयम परी दर ख़्वाब मी-बीनम
मैं शायद उस सौदा में दीवाना हो जाऊँगा कि रात को सुब्ह तक
चाँद से बातें करता हूँ, परी को ख़्वाब में देखता हूँ
चू हर ख़ाके कि बाद आवुर्द फ़ैज़े बूद-ओ-इनआ'मे
ज़े हाल-ए-बंदः याद आवुर कि ख़िदमत-गार-ए-देरीनम
हवा जो ख़ाक लाई है वो एक फ़ैज़ और इन’आम था
ग़ुलाम के हाल को याद रख कि मैं क़दीम ख़िदमत-गार हूँ
न हर कू नक़्श-ए-नज़्मे ज़द कलामश दिल-पज़ीर आमद
तज़र्व-ए-तुर्फ़ः मी-गीरम कि चालाकस्त शाहीनम
ऐसा नहीं है जिस शख़्स ने भी नज़्म लिखी उस का कलाम दिल-पज़ीर हुआ
मैं अ’जब कब्क पकड़ता हूँ इसलिए कि मेरा बाज़ चालाक है
वगर बावर नमी-दारी रौ अज़ सूरत-गर-ए-चीं पुर्स
कि मानी नुस्ख़ः मी-ख़्वाहद ज़े नोक-ए-किल्क-ए-मुश्कीनम
और अगर मुझे यक़ीन नहीं है, जा और चीन के नक़्क़ाश से पूछ
कि मानी मेरे मुशकीं क़लम का नुस्ख़ा मांगता है
वफ़ादारी-ओ-हक़-गोई न कार-ए-हर-कसे बाशद
ग़ुलाम-ए-आसिफ़-ए-दौराँ जलालुल-हक़्क़ि-वद्दीनम
वफ़ा-दारी और हक़-गोई हर शख़्स का काम नहीं होता
मैं आसिफ़-ए-दौराँ जलाल-उल-हक़ वद्दीन का ग़ुलाम हूँ
रुमूज़-ए-इ'श्क़-ए-ओ-सरमस्ती ज़े मन ब-शिनो न अज़ 'हाफ़िज़'
कि बा जाम-ओ-क़दह हर शब हरीफ़-ए-माह-ओ-परवीनम
इ’श्क़ और मस्ती के राज़ मुझसे सुन न कि ‘हाफ़िज़’ से
इसलिए कि मैं हर रात को जाम और क़दह के साथ माह और परवीन का साथी हूँ
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