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ऐ नसीम-ए-सहर आराम-गह-ए-यार कुजास्त

हाफ़िज़

ऐ नसीम-ए-सहर आराम-गह-ए-यार कुजास्त

हाफ़िज़

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    नसीम-ए-सहर आराम-गह-ए-यार कुजास्त

    मंज़िल-ए-आँ मह-ए-आशिक़ कुश-ए-अ'य्यार कुजास्त

    सुब्ह की नसीम यार की आराम-गाह कहाँ है

    उस आ’शिक़ कश शोख़ चाँद की मंज़िल कहाँ है

    शब-ए-तार-अस्त-ओ-रह-ए-वादी-ए-ऐमन दर-पेश

    आतिश-ए-तूर कुजा वा'दः-ए-दीदार कुजास्त

    रात अँधेरी है और वादी-ए-ऐमन का रास्ता दरपेश है

    कोह-ए-तूर की आग कहाँ है, दीदार का वा’दा कहाँ है

    हर कि आमद ब-जहाँ नक़्श-ए-ख़राबी दारद

    दर ख़राबात म-पुर्सेद कि हुशियार कुजास्त

    जो भी दुनिया में आया है, ख़राबी का नक़्श रखता है

    शराब-ख़ाना में ये पूछो कि होशयार कहाँ है

    आँ कस अस्त अहल-ए-बशारत कि इशारत दानद

    नुकतहा हस्त बसे महरम-ए-असरार कुजास्त

    अहल-ए-बशारत वो है, जो इशारा समझे

    नुक्ते तो बहुत हैं, राज़ों का महरम कहाँ है

    हर सर-ए-मू-ए-मरा बा-तू हज़ाराँ कारस्त

    मा कुजाएम-ओ-नसीहत-गर-ए-बेकार कुजास्त

    मेरे हर रौंगटे को, तुझसे हज़ारों काम हैं

    हम कहाँ हैं और फ़ुज़ूल नसीहत करने वाला कहाँ है

    आशिक़-ए-ख़स्त: ज़े-दर्द-ए-ग़म-ए-हिज्र-ए-तू ब-सोख़्त

    ख़ुद न-पुर्सी तू कि आँ आ'शिक़-ए-ग़म-ख़्वार कुजास्त

    ख़स्ता आ’शिक़ तेरे फ़िराक़ के ग़म में जल गया

    तू ख़ुद ये नहीं पूछता है कि वो ग़म-ख़्वार आ’शिक़ कहाँ है

    बाद:-ओ-मुतरिब-ओ-गुल जुम्ल: मुहय्यास्त वले

    ऐ'श-ए-बे-दोस्त मुयस्सर न-शवद यार कुजास्त

    शराब और गवय्या और फूल सब मुहय्या हैं लेकिन

    दोस्त के बग़ैर लुत्फ़ नहीं आता है, दोस्त कहाँ है

    अ'क़्ल दीवान: शुद आँ सिलसिल:-ए-मुशकीं कू

    दिल ज़े-मा गोश: गिरफ़्त अबरु-ए-दिल-दार कुजास्त

    अ’क़्ल दीवाना हो गई है मुशकीं बेड़ी कहाँ है

    दिल ने हमसे किनारा कर लिया, मा’शूक़ की अब्रू कहाँ है

    दिलम अज़ सोमआ'-ओ-सोहबत-ए-शैख़स्त मलूल

    यार-ए-तरसा-बचः कू ख़ान:-ए-ख़म्मार कुजास्त

    मेरा दिल इ’बादत-खाना और शैख़ की हम-नशीनी से तंग है

    आतिश-परस्त ज़ादा यार कहाँ है, शराब की भट्टी कहाँ है

    'हाफ़िज़' अज़ बाद-ए-ख़िज़ाँ दर चमन-ए-दहर म-रंज

    फ़िक्र-ए-माक़ूल ब-फर्माँ गुल-ए-बे-ख़ार कुजास्त

    ‘हाफ़िज़’ ज़माना के चमन में ख़िज़ाँ की हुवा से रंजीदा हो

    सही बात सोच, बग़ैर कांटे के फूल कहाँ है

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