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ब-साले कि चुनीं माहे बर-आयद

अमीर ख़ुसरौ

ब-साले कि चुनीं माहे बर-आयद

अमीर ख़ुसरौ

MORE BYअमीर ख़ुसरौ

    रोचक तथ्य

    अनुवाद: अमारा अली

    ब-साले कि चुनीं माहे बर-आयद

    गर आयद ज़े-चे गाहे बर-आयद

    इस तरह कहाँ चाँद निकलता है और अगर निकलता भी है तो किस वक़्त भी निकलता है.

    ज़े-रुख़्सारश ज़े-हुस्न-ए-जा'द-ए-मुश्कींं

    कुजा अज़ तीरः शब माहे बर-आयद

    उसके रुख़्सारों पर सियाह काकुल के हुस्न के मुक़ाबले पर चाँद कहाँ काली रात में निकलता है.

    अगर आईनः-ए-हुस्न अस्त रौशन

    ब-गीरद ज़ंग अगर आहे बर-आयद

    अगर हुस्न का आईना साफ़ है उस पर ज़ंग लगेगा अगर आह पड़ेगी.

    बसा ख़िर्मन कि दर यक-दम ब-सोज़द

    अज़ आँ आतिश कि नागाहे बर-आयद

    कितने ही ख़िर्मन ऐसे हैं जो एक-दम जल गए जब उन पर अचानक कहीन आग पड़ी.

    हमा शब ता-सहर बेदार बाशम

    बुवद काँ मह सहर गाहे बर-आयद

    सारी रात में सहर तक जागता रहूँ शायद वो चाँद सहर के वक़्त निकल आए.

    अजब न-बुवद दर आँ मय-ख़ानः 'ख़ुसरव'

    गर अज़ पैकार-ए-गुमराहे बर-आयद

    अजब हो अगर इस मय-ख़ाने में ‘ख़ुसरौ’ लडाता हुआ किसी गुमराह की वजह से बाहर जाए.

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