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दर सीन: दारम कोह-ए-ग़म दानद अगर यार ईं क़दर

अमीर ख़ुसरौ

दर सीन: दारम कोह-ए-ग़म दानद अगर यार ईं क़दर

अमीर ख़ुसरौ

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    रोचक तथ्य

    अनुवाद: अमारा अली

    दर सीन: दारम कोह-ए-ग़म दानद अगर यार ईं क़दर

    शायद कि न-पसंदद दिलश बर जान-ए-मन बार ईं क़दर

    मेरे सीने में ग़म का पहाड़ है अगर मेरे यार को यह पता चल जाए शायद उस का दिल मेरी जान पर इत्ना बोझ पसंद करे

    बेचारः-ई अज़ दस्त शुद आख़िर चे कम गर्दद ज़े-तू

    गर बाज़ गोई सबा दर हज़रत-ए-यार ईं क़दर

    एक बेचारा अपने आप से गया, तुम में कमी जाएगी? सबा अगर तुम एक बार फिर मेरे दोस्त के सामने कह दो।

    गर बह्र-इ-चूँ तू का'बः-ई उम्रे बदीद: रह रवम

    हम सहल बाशद जान-ए-मन ईं मुज़्द रा कार ईं क़दर

    अगर तुम का’बा जैसे के लिए, मैं सारी उम्र आँखों के बल चलूँ तो मेरी जान यह काम बेहतरीन मुआविज़ा होगा।

    अज़ दीद: ज़ेर-ए-पा-ए-तू चंदाँ फ़शांदम ला'ल-ओ-दुर्र

    रोज़े न-गुफ़्ती काए फुलाँ हस्त अज़ तू बिसयार ईं क़दर

    तुम्हारे क़दमों के नीचे मैं ने इतने मोती न्योछावर किए लेकिन तुम ने एक दिन यह भी नहीं कहा फ़ुलाँ इतना बहुत है।

    गर-चे दिलम ख़ूँ शुद ज़े-तू ने अज़ तू मी-रंजद दिलम

    बूदःस्त मा रा दीदनी अज़ चश्म-ए-ख़ूँ-बार ईं क़दर

    अगरचे मेरा दिल तुम्हारी वजह से ख़ून हुआ लेकिन मेरा दिल तुम से रंजीदा नहीं हुआ मेरी सुर्ख़ आँख से यह नज़्ज़ारा देखने लायक़ था।

    बा आँ-कि ज़ारम मी-कुशी दुश्वार मी नायद तुरा

    आँ-कि मलामत मी-रसद अज़ मात दुश्वार ईं क़दर

    बावजूद इसके कि तुम मुझे ज़ार करके मार रहे हो, तुम्हें मुश्किल नहीं लगता क्योंकि तुम्हें हमारी मलामत का समना भी करना पड़ेगा।

    दरयूज़ः दारम ख़ंदः-ई अज़ नक़्ल-दान-ए-पुर-नमक

    मरहम ब-कुन बहर-ए-ख़ुदा बर जान-इ-अफ़गार ईं क़दर

    मुझे तुम्हारे मुँह से एक मुस्कराहट की भीक चाहिए ख़ुदा के लिए मेरी जान पर यह मरहम रखो।

    नालः कि 'ख़ुसरव' मी-कुनद दर आरज़ू-ए-रु-ए-तू

    कम नालद अंदर फ़स्ल-ए-गुल बुलबुल ब-गुलज़ार ईं क़दर

    तुम्हारे चेहरे की आरज़ू में ‘ख़ुसरौ’जो आह-ओ-ज़ारी कर रहा है फ़स्ल-ए-गुल में बाग़ में, बुल्बुल इससे कम आह-ओ-ज़ारी करती है.

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