गाह रज़्म आमद बया ता अज़्म-ए-ज़े-मैदाँ कुनेम
मर्द-ए-इश्क़ आमद बया ता गिर्द-ए-ऊ जौलाँ कुनेम
चंग दर फ़ित्राक-ए-ईं माशूक़-ए-आशिक़-कुश ज़नेम
पस लगाम-ए-नेस्ती रा बर सर-ए-फ़रसाँ कुनेम
गर बर-आयद ख़त तवक़्क़ीअश बरीं मंशूर-ए-मा
मा ज़े-दीद: बर ख़़त-ए-मन्शूर दुर्र अफ़्शाँ कुनेम
अज़ ख़याल-ए-चेहर:-ए-ग़म्माज़-ए-रंग-आमेज़-ए-ऊ
बस ब-रस्म-ए-हाजियां गह तौफ़ गह क़ुर्बां कुनेम
नंग-ए-ईं-मस्जिद-परिस्ताँ रा दर-ए-दीगर ज़नेम
चूँ कि मस्जिद लाफ़गह शुद क़िब्ल: रा वीराँ कुनेम
ख़ाक-पा-ए-मरकब-ए-उश्शाक़ रा अज़ रू-ए-फ़ख़्र
तूतिया-ए-चश्म-ए-शाहान-ए-हम:-गैहाँ कुनेम
ईं न शर्त-ए-मोमिनीं बाशद न रस्म-ए-बे-ख़ुदी
ताअ'त-ए-सुलताँ ब-मान्द: ख़िदमत-ए-दरबाँ कुनेम
चूँ अ'रूसान-ए-तबीअ'त महरम-ए-मा नेस्तन्द
बर अज़ीज़ान-ए-तरीक़त शायद अर पैमाँ कुनेम
हर चे अज़ पेशी-ओ-बेशी हस्त दर अतराफ़-ए-मा
मा बर आँ अज़ दिल सला-ए-मन-अलैहा फ़ान कुनेम
ऐ 'सनाई' ता दरीं दामी मज़न दम जुज़ ब-इश्क़
तात चूँ शमअ'-ए-मो'तबर रौशन-ओ-ताबाँ कुनेम
अंदलीब-ए-ईं नवाई दर क़फ़स औला-तरी
चूँ शुदी ताऊस जायत मंज़र-ओ-ऐवाँ कुनेम
ता ज़े-मा फ़रमाँ न-यायद ज़ीं क़फ़स बैरूँ म-पर
काशकारा आँगही गर्दी कि मा फ़रमाँ कुनेम
- पुस्तक : दीवान-ए-सनाई ग़ज़नवी (पृष्ठ 414)
- रचनाकार : हकीम सनाई
- प्रकाशन : इंतिशारात-ए-सनाई, ईरान (1983)
- संस्करण : 7th
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