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हर शब मनम ज़े-हिज्र-परेशाँ-ओ-दीदाः-तर

अमीर ख़ुसरौ

हर शब मनम ज़े-हिज्र-परेशाँ-ओ-दीदाः-तर

अमीर ख़ुसरौ

MORE BYअमीर ख़ुसरौ

    हर शब मनम ज़े-हिज्र-परेशाँ-ओ-दीदाः-तर

    दिल अज़ बरम रमीदः मन ज़ू रमीदः-तर

    हर रात मैं हिज्र से परेशान हूँ और मेरी आँखें भीगती हैं मेरा दिल मेरे पहलू से निकल गया है और मैं उससे दूर हो गया हूँ.

    अफ़्ग़ाँ ज़े-तू कि हस्त ब-गोशत फ़ुग़ान-ए-मन

    हर-चंद बेश मी-शनवी ना-शनीदः-तर

    अफ़्सोस तुम पर कि तुम्हारे कानों में मेरी आवाज़ पड़ी है अगरचे तुम जितना ज़्यादा सुनते हो उतनी ही सुनी अन-सुनी करते हो.

    शीरीं ग़मे अस्त इश्क़ व-लेकिन ज़माँ कुजास्त

    दिल बगोयमत कि ब-ख़ुर लेक दीदः-तर

    इश्क़ एक मीठा ग़म है लेकिन ज़माना कहाँ है. दिल मैं तुम से कहता हूँ कि ग़म नो खाओ लेकिन मेरी आँखें तर हैं.

    ख़ल्क़े ब-राह मुंतज़िरत जाँ सपुर्दः-अन्द

    तुर्क-ए-मस्त दार-ए-अनान रा कशीदः-तर

    लोग तुम्हारे रासते में जान सुपुर्द करने के लिए मुंतज़िर हैं. मदहोश तुर्क ज़रा लगाम खींच कर रखो.

    तू फ़ित्न:-ए-ज़मानः शुदी वर्नः रोज़गार

    बूद:स्त पेश अज़ीं क़द्रे आर्मीदा-तर

    तुमने ज़माने में फ़ित्ना बरपा कर दिया है वरना ज़माना इससे पहले किसी हद तक पुर-सुकून था.

    दोस्त पर्दःपोशी-ए-मजनूँ ज़े-अक़्ल नीस्त

    कू रास्त दामने ज़े-गरेबाँ दरीदः-तर

    दोस्त मजनूँ की परदा-पोशी अक़्ल से नहीं है. दामन तारीक है और गरीबान और ज़्यादा चाक है.

    'ख़ुसरव' ज़मान-ए-रफ़्तन बर्दोश बार-ए-इश्क़

    राह-ए-दराज़ मी-रवी आख़िर जरीदः-तर

    ‘ख़ुसरौ’ कोच का वक़्त है और कंधों पर इश्क़ का बोझ है. रास्ता लम्बा है और तुम अकेले चल पड़े हो.

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