हिकायत-ए-ईसा पैग़म्बर अलैहिस-सलाम
पा-ए-मसीहा कि जहाँ मी-नबिश्त
बर-सर-ए-बाज़ारच:-ए-मी-गुज़श्त
हज़रत ई’सा संसार में बहुत भ्रमण किया करते थे। एक दिन वह एक छोटे से बाज़ार में घूम रहे थे।
गुर्ग-ए-सगे दर गुज़र उफ़्तादः दीद
युसूफ़श अज़ चे ब-दर उफ़्तादः दीद
एक ने कहा कि इसका डर मस्तिष्क को ऐसा गन्दा कर देता है, जैसे दीपक को मुख की भाप।
बर-सर-ए-कु-ए-आँ जैफ़ः गिरोहे नज़ार
बर सिफ़ते कर्गस-ए-मुर्दार-ख़्वार
दूसरे ने कहा कि यह तो बड़ा ही भयानक है। इसको देखने में भय के मारे हृदय धड़कने लगता है।
गुफ़्त यके वहशते ईं दर दिमाग़
तीरगी आरद चु नफ़स दर चराग़
प्रत्येक मनुष्य ऐसे वचन कह कर कुत्ते के मृत शरीर को बुरा कह रहा था।
जब हज़रत ई’सा की बारी आई तो उन्होंने बुराइयों को छोड़ कर उसकी अच्छाइयों का वर्णन करना प्रारम्भ किया।
वाँ दिगरे गुफ़्त न बस हासिल-अस्त
कोरी-ए-चश्मस्त-ओ-बला-ए-दिल-अस्त
उन्होंने कहा कि इसके शरीर की अच्छाइयों को देखने से मा’लूम होता है कि इसके दाँत मोती से भी अधिक स्वच्छ है।
हर कस अज़ाँ पर्द:-नवाए नमूद
बर-सर-ए-कु-ए-आँ जैफ़ा जफ़ाए नमूद
वह मनुष्य जो उसकी बुराई कर रहे थे, यह सुन कर हँसने लगे।
चूँ ब-सुख़न नौबत-ए-ईसा रसीद
ऐब रहा कर्द व ब-मआ'ना रसीद
दूसरे मनुष्यों के दोषों और अपने गुणों को मत देखो। जब दूसरों के दोषों की तरफ़ दृष्टि जाय, अपने को देखो।
गुफ़्त ज़े-नक़शे कि दर ऐवान-ए-ऊस्त
दुर ब-सफ़ेदी न चू दन्दान-ए-ऊस्त
अपने आपको दूसरों से बढ़ कर लगाने का प्रयत्न मत करो। ऐसा करना स्वार्थपरता से ख़ाली नहीं है।
ऐब-ए-कसाँ म-निगर-ओ-एहसान-ए-ख़्वेश
दीद: फ़रव कुन ब-गरेबान-ए-ख़्वेश
यदि तुम दूसरों में दोष निकालोगे, दुनिया तुम्हें अच्छी दृष्टि से नहीं देखेगी ।
आईन: रोज़े कि ब-गीरी ब-दस्त
ख़ुद शिकन आँ रोज़ म-शो ख़ुद-परस्त
तुम्हारे दोषों का आवरण बहुत हल्का है और इसीलिये नौ आकाश के नौ पर्दे तुम्हारे ऊपर डाले गये हैं ।
ख़ेशतन आरा म-शो चूँ बहार
ता न-कुनद दर तू तमअ' रोज़गार
इस आकाशी घेरे में, वह क्या वस्तु है, जो तुम्हारे गले में तौक़ के समान पड़ी हुई है?
जाम:-ए-ऐब-ए-तू तंग-ए-रिश्त:-अन्द
ज़ाँ ब-तू नुह पर्द: फ़रव हिश्त:-अन्द
सुरय्या का तौक़ उठाने का प्रयत्न मत करो यदि तुम कुत्ते नहीं हो। यदि गधे नहीं हो तो मसीह को अपने ऊपर सवार मत कराओ।
चीस्त दरीं हल्क़:-ए-अंगुश्तरी
काँ न-बुवद तौक़-ए-तू चूँ ब-निगरी
आकाश क्या है? एक वृद्ध विधवा। संसार क्या है? एक चोर की लूटी हुई विधवा।
गर न सगे तौक़-ए-सुरय्या मकश
गर न ख़रे बार-ए-मसीहा मकश
नई और पुरानी इनके चक्करों में मत पड़ो। संसार के बदलने पर एक कौड़ी के भी नहीं रहोगे।
कीस्त फ़लक-ए-पीर शुदः बेवः
चीस्त जहान-ए-दूद-ज़द: बेवः
कमर बाँध कर उठ खड़े हो और इस संसार की चिन्ता मत करो। यदि तुम खाओ भी तो निज़ामी का भाग अलग निकाल दो।
जुमल:-ए-दुनिया ज़े-कुहन ता बनो
चूँ गुज़रिन्द-अस्त नयरज़द दो जौ
अंदोह-ए-दुनिया म-ख़ूर ऐ ख़्वाजः ख़ेज़
गर तो ख़ुरी बख़्श-ए-'निज़ामी' ब-रेज़
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