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इशारत - ज़े-तरसाई ग़रज़ तजरीद दीदम

महमूद शबिस्तरी

इशारत - ज़े-तरसाई ग़रज़ तजरीद दीदम

महमूद शबिस्तरी

MORE BYमहमूद शबिस्तरी

    इशारत ब-तरसाई

    ज़े-तरसाई ग़रज़ तजरीद दीदम

    ख़लास अज़ रब्क़:-ए-तक़लीद दीदम

    जनाब-ए-क़ुद्स-ए-वहदत दैर-ए-जानस्त

    कि सीमुर्ग़-ए-बक़ा रा आशियान-अस्त

    ज़े-रूहुल्लाह पैदा गश्त ईं कार

    कि अज़ रूहुल-क़ुदुस आमद पदीदार

    हम अज़ अल्लाह दर पेश-ए-तू जानी-अस्त

    कि अज़ रूहुल-क़ुदुस दर वै निशानी-अस्त

    अगर याबी ख़लास अज़ नफ्स-ए-नासूत

    दराई दर हयात-ए-क़ुदस-ए-लाहूत

    हर आँ कस कू मुजर्रद चूँ मलक शुद

    चू रूहल्लाह बर चारुम फ़लक शुद

    तमसील

    बुवद महबूस तिफ़्ल-ए-शीर-ख़्वार:

    ब-नज़्द-ए-मादर अंदर गाहवार:

    चु गश्त बालिग़ मर्द-ए-सफ़र शुद

    अगर मुर्दस्त हमराह-ए-पिदर शुद

    अनासिर मर तू-रा चूँ उम्म-ए-सिफ़लीस्त

    तू फ़र्ज़न्दी पिदर आबा-ए-उलवी-अस्त

    अज़ाँ मी-गुफ़्त ईसा गाह-ए-असरा

    कि आहंग-ए-पिदर दारम ब-बाला

    तू हम जान-ए-पिदर सू-ए-पिदर शौ

    पिदर रफ़्तन्द हमराहाँ पिदर शौ

    अगर ख़्वाही कि गर्दी मुर्ग़-ए-पर्वाज़

    जहान-ए-जीफ़: पेश-ए-करगस अंदाज़

    ब-दू-नान देह मर ईं दुनिया-ए-ग़द्दार

    कि जुज़ सग रा न-शायद दाद मुर्दार

    नसब चे बूद मुनासिब रा तलब कुन

    ब-हक़ रौ वरो तर्क-ए-नसब कुन

    ब-बहर-ए-नेस्ती हर कू फ़रव शुद

    फला अंसाब नक़्द-ए-वक़्त-ए-ऊ शुद

    हर आँ निस्बत कि पैदा शुद ज़े-शहवत

    नदारद हासिले जुज़ किब्र-ओ-नख़वत

    अगर शहवत बूदे दरमियानः

    नस्ब-हा जुमल: मी-गश्ती फ़सानः

    चु शहवत दरमियानः कारगर शुद

    यके मादर शुद आँ दीगर पिदर शुद

    नमी-गोयम कि मादर या पिदर कीस्त

    कि बा ईशाँ ब-हुर्मत बायदत ज़ीस्त

    निहाद: नाक़िसे रा नाम-ए-ख़्वाहर

    हसूदी रा लक़ब कर्द: बरादर

    अ'दू-ए-ख़्वेश रा फ़र्ज़न्द-ख़्वानी

    ज़े-ख़ुद बेगान: ख़्वेशानन्द ख़्वानी

    मरा बारे बगो ता ख़ाल-ओ-अ'म कीस्त

    ज़े-ईशाँ हासिले जुज़ दर्द-ए-ग़म चीस्त

    रफ़ीक़ाने कि बा तू दर तरीक़-अन्द

    पय-ए-हज़्ल बिरादर हम रफ़ीक़न्द

    ब-सोहबत-ए-शाँ अगर यक-दम नशीनी

    अज़ ईशाँ मन चे गोयम ता चे बीनी

    हम: अफ़्सान:-ओ-अफ़्सून-ओ-पन्द-अस्त

    ब-जान-ए-ख़्वाज: कि ईन-हा रीशख़न्द-अस्त

    ब-मर्दी वा रहाँ ख़ुद रा चू मर्दां

    लेकिन हक़-ए-कस ज़ाया मगर दाँ

    ज़े-शरअ' अर यक दक़ीक़: माँद मोहमल

    शवी तू दर दो कौन अज़ दीं मोअ'त्तल

    हुक़ूक़-ए-शरआ' रा ज़िन्हार म-गुज़ार

    लेकिन ख़ेशतन रा हम निगह-दार

    ज़ेसोज़न नीस्त इल्ला माय:-ए-ग़म

    बजा ब-गुज़ार चूँ ई'सा-ए-मरियम

    हक़ीक़ी शौ ज़े-हर क़ैद-ए-मज़ाहिब

    दर आँ दर दीन मानिन्द-ए-राहिब

    तू-रा ता दर नज़र अग़्यार-ओ-ग़ैर-अस्त

    अगर दर मस्जिद-ए-आँ ऐ'न-ए-दैर-अस्त

    चु बर-ख़ेज़द ज़े-पेशत किस्वत-ए-ग़ैर

    शवद बह्र-ए-तू मस्जिद गोश:-ए-दैर

    नमी-दानम बहर हाले कि हस्ती

    ख़िलाफ़-ओ-ग़ैर बरूँ कुन कि रिसती

    बुत-ओ-ज़ुन्नार-ओ-तरसाई-ओ-नाक़ूस

    इशारत शुद हम: बर तर्क-ए-नामूस

    अगर ख़्वाही कि गर्दी बंद:-ए-ख़ास

    मुहय्या शौ बराए सिद्क़-ओ-इख़्लास

    ब-रौ ख़ुद रा ज़े-राह-ए-ख़्वेश बर-गीर

    ब-हर यक लहज़ः दर ईमान ज़-सर गीर

    ब-बातिन नफ़्स-ए-तू चू हस्त काफ़िर

    म-शो राज़ी ब-दीं इस्लाम-ए-ज़ाहिर

    ज़े-नौ हर लहज़ः ईमाँ ताज़: गर्दां

    मुसलमाँ शौ मुसलमाँ शौ मुसलमाँ

    बसे ईमाँ बुवद कज़ कुफ़्र ज़ायद

    कुफ़्र-अस्त आँ कज़ ईमाँ फ़ज़ायद

    रिया-ओ-सुम्अ':-ओ-नामूस ब-गुज़ार

    ब-यफ़गन ख़िर्क़:ओ-बर-बन्द ज़ुन्नार

    चू पीर-ए-मा शौ अंदर कुफ़्र फ़र्द

    अगर मर्दी ब-देह दिल रा बमर्दे

    मुजर्रद शौ ज़े-हर इक़रार-ओ-इंकार

    ब-तरसा ज़ादः देह दिल रा ब-यक बार

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