ख़्वाब ज़े-चश्म-ए-मन ब-शुद चश्म-ए-तू बस्त ख़्वाब-ए-मन
रोचक तथ्य
अनुवाद: अमारा अली
ख़्वाब ज़े-चश्म-ए-मन ब-शुद चश्म-ए-तू बस्त ख़्वाब-ए-मन
ताब न-मांद: दर तनम ज़ुल्फ़-ए-तू बुर्द ताब-ए-मन
मेरी आँखों से नींद उड़ गई तुम्हारी आँखों ने मेरी नींद बंद कर दी मेरे जिस्म में ताक़त नहीं रह गई तुम्हारी ज़ुल्फ़ ने मेरी ताक़त छीन ली.
फ़ित्नः-ए-चश्म तू सितद ख़्वाब-ए-मरा ब-अहद-ए-तू
फ़ित्नः चू ख़्वाब कम कुनद बहर-ए-चे बुर्द: ख़्वाब-ए-मन
तुम्हारे अ’हद में तुम्हारी आँख के फ़ित्ने ने मेरी नींद ख़त्म कर दी फ़ित्ना अगर नींद कम करता है तो मेरे ख़्वाब क्यूँ चुराए हैं.
तिश्नः-ए-ख़ूँ फ़ित्नः-उम बस-कि ब-ख़ुर्दन ख़ून-ए-मन
दुश्मन-ए-आब-ए-दीदः-अम बस-कि ब-रेख़्त आब-ए-मन
यह फ़ित्ना मेरे ख़ून का प्यासा है उसने मेरा बहुत ख़ून पिया मेरी आँखों के पानी का दुश्मन है उसने मेरा बहुत पानी बहाया.
दर्द-ए-सरेयत मी-देहद गिर्यः-ज़ार-ए-मन बले
ख़ुद हमः दर्द-ए-सर बुवद हासिल-ए-ईं गुलाब-ए-मन
मेरा रोना धोना तुम्हारे लिए दर्जा-ए-सर का बाइस बनता है मेरे इस गुलाब का हासिल ख़ुद ही दर्द-ए-सर है.
सोज़िश-ए-ख़ुद चे गोयमत बस-कि ब-गुफ्त दम-ब-दम
आतिशीं-दिल ब-सद-ज़बाँ हाल-ए-दिल कबाब-ए-मन
मैं अपनी जान तुम्हें क्या बताऊँ लिहज़ा दिल की तपिश सौ तरह से मेरे दिल का हाल बयान करती है.
रोज़-ए-मन अज़ तू गश्त शब वर ग़म-ए-रौशनी ख़ुरम
आह-ए-जहाँ-फरोज़-ए-दिल बस बुवद आफ़्ताब-ए-मन
मेरा दिन तुम्हारी वजह से रात बन गया मेरी आह मेरे लिए सूरज बन गई.
दर शब-ए-माहताब अगर सग हमः शब फ़ुग़ाँ कुंद
आँ सग-ए-बा-फ़ुग़ाँ मनम रु-ए-तू माहताब-ए-मन
चांदनी-रात में अगर कोई कुत्ता भौंकता है तो वह भूकने वाला कुत्ता मैं मैं तुम्हारा चेहरा मेरे लिए चाँद है.
उम्र शिताब मी-कुनद वक़्त-ए-वफ़ा-ए-अहद शुद
हस्त ज़े-उम्र-ए-बे-वफ़ा बेशतर ईं शिताब-ए-मन
उम्र जल्दी-जल्दी गुज़र रही है. वादा निभाने का वक़्त आ गया है लेकिन मैं इस बे-वफ़ा उ’म्र से जल्दी में हूँ.
अज़ तू हुमाये के फ़ितद सायः बर आशियान-ए-मा
चुग़द ब हीलः मी-परद दर वतन-ए-ख़राब-ए-मन
हमारे आशियाने पर तुम्हारे हुमा का साया कहाँ पड़ता है हमारे वतन में बहाने बहाने उल्लू उड़ते हैं.
दी दर-ए-तू हमी ज़दम लब ब-जफ़ा कुशादेम
बख़्त दर-ए-दिगर गशूद अज़ पय-ए-फ़त्ह-ए-बाब-ए-मन
कल मैं तुम्हारा दरवाज़ा खटखटा रहा था और तुमने ग़ुस्से से जवाब दिया नसीब ने मेरी फ़तह के लिए एक और दरवाज़ा खोल दिया.
बोस:-ए-सवाल कर्दमत बोस: ज़दी ब-ज़ेर-ए-लब
गर न मन अबलहम हमीं बस न-बुवद जवाब-ए-मन
मैं ने तुम से बोसा का सवाल किया और तुम ने ज़ेर-ए-लब बोसा दिया मैं पागल तो नहीं हूँ यह मेरी बात का जवाब नहीं था.
'ख़ुसरव' अज़ इन्क़िलाब-ए-तू गरचे कि माँद बे-सुकूँ
हम ज़े-सुकूँ ब-दिल शवद ईं हम: इन्क़िलाब-ए-मन
तुम्हारे बदलने से ‘ख़ुसरौ’ बे-सुकून हो गया मेरा यह इंक़िलाब मेरे दिल से सुकून ख़त्म कर रहा है.
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