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रफ़्ती अज़ पेश-ए-मन व नक़्श-ए-तू अज़ पेश न-रफ़्त

अमीर ख़ुसरौ

रफ़्ती अज़ पेश-ए-मन व नक़्श-ए-तू अज़ पेश न-रफ़्त

अमीर ख़ुसरौ

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    रोचक तथ्य

    अनुवाद: अमारा अली

    रफ़्ती अज़ पेश-ए-मन नक़्श-ए-तू अज़ पेश न-रफ़्त

    कीस्त कू दीद ब-रुख़सार-ए-तू ज़े-ख़्वेश न-रफ़्त

    तुम मेरे पास से चले गए लेकिन तुम्हारा तसव्वुर नहीं गया कौन है वह जिसने तुम्हारे रुख़्सार देखे और अपने आप से गया.

    ता तुरा दीदम कम रफ़्त ख़यालत ज़े-दिलम

    कम चे बाशद कि ख़ुद-ए-ख़ातिर-ए-मन ख़्वेश न-रफ़्त

    जब से मैं ने तुम्हें देखा है तुम्हारा ख़याल कम ही मेरे दिल से निकला है कम क्या निकलना ख़ुदा मेरा ख़याल ही किसी और तरफ़ नहीं गया

    हेच-गाहे ब-सू-ए-बंदः नयाई आरी

    हेच-कारे ब-मुराद-ए-दिल-ए-दरवेश न-रफ़्त

    कभी भी तुम बंदे की तरफ़ नहीं आए कभी भी मुझ फ़क़ीर की ख़्वाहिश पूरी नहीं हुई.

    शब कुनी वा'दः फ़र्दात ज़े-ख़ातिर ब-रवद

    अज़ तू ईं नाज़ फ़रामोशी-ओ-फ़िरोयश न-रफ़्त

    रात को तुम वा’दा करते हो और सुब्ह भूल जाते हो. तुम्हारी यह अदाएं और भूल जाने की आदत गई.

    बे-सबब नीस्त गुज़रगाहे ख़यालत बर मन

    बे-सबब गुर्ग-ए-मोकाबिर ब-सू-ए-मेश न-रफ़्त

    तुम्हारे ख़याल का मेरी तरफ़ आना बे-सबब नहीं है. भेड़िया बे-सबब भीड़ की तरफ़ नहीं आता

    मन-ए-रुस्वा शुद: रा ख़ुद-कुश म-फिगन ब-रक़ीब

    कि बदीं रोज़ कसे पेश-ए-बद-अंदेश न-रफ़्त

    मुझ रुस्वा को ख़ुद मारो और रक़ीब पर छोड़ी क्योंकि उस दिन कोई बद-अंदेश के पास नहीं जाता.

    दिल ब-मरहम चे गज़ारेम कि बर याद-ए-लबत

    हेच वक़्ते दिल-ए-मा रा नमक अज़ रीश न-रफ़्त

    हम मरहम प्र दिल क्या रखें कि तुम्हारे होठों की याद कभी भी हमारे ज़ख़मों पर नमक छिकड़ने से बाज़ नहीं आई.

    'खु़सरवा' तन ज़न ब-नशीं पस-ए-कार-ए-ख़ुद अज़ाँक

    जगरत ख़ूँ शुद कार-ए-दिलत अज़ पेश न-रफ़्त

    ‘ख़ुसरौ’ ज़ोर लगाओ और अपने काम का पीछा करो क्योंकि तुम्हारा जिगर ख़ून हो गया है और तुम्हारे काम में पेश-रफ्त नहीं हुई.

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