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आमदम ता रू निहम बर ख़ाक-पा-ए-यार-ए-ख़ुद

रूमी

आमदम ता रू निहम बर ख़ाक-पा-ए-यार-ए-ख़ुद

रूमी

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    आमदम ता रू निहम बर ख़ाक-पा-ए-यार-ए-ख़ुद

    आमदम ता 'उज़्र ख़्वाहम सा'अते अज़ कार-ए-ख़ुद

    मैं अपने यार के क़दमों में सर रखने के लिए आया

    मैं अपने गुनाहों का ’उज़्र पेश करने के लिए आया

    आमदम बा-चश्म-ए-गिर्याँ ता ब-बीनद चश्म-ए-मन

    चश्म-हाए सलसबील अज़ मेह्र-ए-आँ 'अयियार-ए-ख़ुद

    मैं रोते हुए आया ताकि वो मेरी आँख देखे

    कि ये आँखें उनकी मोहब्बतों की वजह से बह रही हैं

    ज़ाँ-कि बे-तू साफ़ न-तवाँ साफ़ गश्तन दर वुजूद

    बे-तू न-तवाँ रस्त हरगिज़ अज़ ग़म-ओ-तीमार-ए-ख़ुद

    तेरे बग़ैर मेरी रूह की सफ़ाई मुम्किन नहीं

    तेरे ’इलावा कोई और मुझे रंज-ओ-ग़म से नजात नहीं दे सकता

    मन ख़मुश कर्दम ब-ज़ाहिर लैक दानी कज़ दरूँ

    गुफ़्त ख़ूँ आलूदः दारम दर दिल-ए-ख़ूँ-ख़्वार-ए-ख़ुद

    मैं ब-ज़ाहिर ख़ामोश हूँ लेकिन तुझे मा’लूम है कि

    मेरे ख़ूँ-ख़्वार दिल में ख़ून जमा हुआ है

    दर निगर दर हाल-ए-ख़ामोशी ब-रूयम नेक-नेक

    ता ब-बीनी बर रूख़-ए-मन सद हज़ार आसार-ए-ख़ुद

    ख़ामोशी की हालत में मेरे चेहरे को अच्छी तरह से देखो

    ताकि मेरे चेहरे पर तुम अपने आसार को देख सको

    वक़्त-ए-तन्हाई ख़मुश बाशेद बा-मर्दुम ब-गुफ्त

    कस न-गोयद राज़-ए-ख़ुद रा बा-दर-ओ-दीवार-ए-ख़ुद

    ख़ल्वत में ख़ामोश रहो और जल्वत में बातें करो

    इसलिए कि कोई भी अपना राज़ दर-ओ-दीवार से नहीं कहता

    तू मगर मर्दुम नमी याबी कि ख़ामुश कर्दः-इ

    हेच-कस रा चूँ बीनी महरम-ए-असरार-ए-ख़ुद

    तुम्हें अब शायद ही कोई आदमी मिलेगा क्यूँकि तुम ने सब को ख़ामोश कर दिया है

    तुझे अब अपना कोई राज़-दाँ इस दुनिया में नहीं मिलेगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-शम्स तबरेज़ी (पृष्ठ 275)

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