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मन ख़स्तः-ओ-रंजूरम बे-चारः-ओ-महजूरम

रूमी

मन ख़स्तः-ओ-रंजूरम बे-चारः-ओ-महजूरम

रूमी

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    मन ख़स्तः-ओ-रंजूरम बे-चारः-ओ-महजूरम

    अज़ वस्ल-ए-सनम दूरम मन बे-सर-ओ-सामानम

    मैं परेशान, ग़मगीं, बेचारा और हिज्र में मुब्तला हूँ

    मैं सनम के विसाल से दूर और बे-सर-ओ-सामान हूँ

    दर सुल्हम-ओ-दर जंगम बद-नामम-ओ-बे-नंगम

    बे-रू-ए-तु दिल तंगम हिर्मानम-ओ-हिर्मानम

    मैं सुलह में हूँ, मैं जंग में हूँ, मैं बदनाम हूँ, मैं रुस्वा हूँ

    मैं तुम्हारे बग़ैर उदास हूँ, मैं बद-नसीब हूँ, मैं बद-नसीब हूँ

    चालाकम-ओ-हम-चुस्तम दोस्त तुरा जुस्तम

    सरमस्तम-ओ-बा-मस्तम उफ़्तानम-ओ-ख़ेज़ानम

    मैं चुस्त-ओ-चालाक हूँ, दोस्त मैं तुझे ढ़ूँड रहा हूँ

    मैं मस्त हूँ, मैं मस्तों के साथ हूँ, मैं गिरता हूँ और कभी उठता हूँ

    हम-जिन्नम-ओ-हम-इंसम बा-ग़ैर न-शुद उंसम

    बा-'इश्क़-ए-तु हम-जिंसम मन कुश्त:-ए-एहसानम

    मैं जिन्न हूँ, मैं इंसान हूँ, मुझे किसी और से मोहब्बत नहीं है

    मैं ’इश्क़ में तेरा हम-जिंस हूँ, मैं तेरे एहसान का मारा हूँ

    हम चीज़म-ओ-ना-चीज़म मन गौहर-ए-पाकीज़म

    मन क़ंद-ए-शकर बेज़म पुर क़ंद ब-दुक्कानम

    मैं हूँ भी, मैं नहीं भी हूँ, मैं पाकीज़ा तबी’अत हूँ

    मैं क़ंद छानने वाला हूँ, मेरी दुकान क़ंद से भरी है

    'शम्स' म-कुन मन’अम मी-सोज़म चूँ शम'अम

    ने लाइक़-ए-ईं जम'अम मन मर्द-ए-परेशानम

    ‘शम्स’ मुझे आराम-तलब मत बना, मैं शम’ की तरह जल रहा हूँ

    मैं उस के लाइक़ नहीं हूँ, मैं एक परेशान आदमी हूँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-शम्स तबरेज़ी (पृष्ठ 469)

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