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Sufinama

सबा मदीने में मुस्तफ़ा से हम बे-कसों का सलाम कहना

अज्ञात

सबा मदीने में मुस्तफ़ा से हम बे-कसों का सलाम कहना

अज्ञात

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    सबा मदीने में मुस्तफ़ा से हम बे-कसों का सलाम कहना

    नहीं है कोई ब-जुज़ तुम्हारे हमारा इतना पयाम कहना

    सबा तू पहले मदीना जाकर रसूल-ए-हक़ से सलाम कहना

    अगर वो मेरा सलाम ले लें तो वस्ल का फिर पयाम कहना

    जगह मदीने में वो 'अता हो तुम्हारे रौज़े का सामना हो

    वहीं पे रहने की आरज़ू है वहीं का मुझ को ग़ुलाम कहना

    मैं पा-प्यादा हूँ या मोहम्मद सँभाल लीजिए सँभाल लीजिए

    ब-जुज़ तुम्हारे किसे पुकारे तुम्हारा अदना ग़ुलाम कहना

    फ़िदा मैं तेरे निसार तुझ पर तिरे मैं सदक़े तिरे मैं क़ुर्बां

    जो कुछ गुज़रती है मुझ पे हालत सबा नबी से तमाम कहना

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुरूद-ए-रूहानी (पृष्ठ 134)
    • रचनाकार : Meraj Ahmed Nizami
    • संस्करण : Second

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