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ग़ज़ल
ख़ाक उड़ाई कूचा-ब-कूचा हो गए रुस्वा दुनिया मेंदेखिए 'नय्यर' आइंदा क़िस्मत का लिखा है क्या क्या कुछ
नय्यर दानापूरी
कलाम
कुछ न थे तो कुछ हुए फिर कुछ तो होंगे आइंदाग़ौर करने पर खुला 'इरफ़ान क्या था क्या हुआ
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
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सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -1
देर हो जाने से शेर ग़ुर्रा ग़ुर्रा कर ज़मीन को नोच डाल रहा था और कहता
ज़माना
सूफ़ी लेख
शम्स तबरेज़ी - ज़ियाउद्दीन अहमद ख़ां बर्नी
निकल्सन दौलत शाह की ज़बानी बयान करता है कि मौलाना ने अक्सर ग़ज़लें शम्स की गैर
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत अमीर ख़ुसरौ
आपका आइंदा ख़िताबः आपके दिल में एक दिन यह ख़याल गुज़रा कि आपका तख़ल्लुस दुनियादारों का
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
सूफ़ी लेख
सूफ़ी और ज़िंदगी की अक़दार
इसलिए मंतिक़ी ज़ेहन उससे बहुत जल्दी मुतअस्सिर हो जाता है। और फिर किसी और चीज़ को
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी शब्दावली
चे निस्बत ख़ाक रा बा-आ’लम-ए-पाककुजा तुम, कुजा वो ज़ात-ए-मुक़द्दस। तुम मह्दूद वो ला-मह्दूद। तुम हर बात
सूफ़ी कहानी
एक सहाबी का बीमार होना और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम का इ’यादत को जाना- दफ़्तर-ए-दोउम
आपने इरशाद फ़रमाया कि ख़बरदार ऐसी दुआ’ फिर कभी ना करना। अपने आपको जड़ पेड़े से
रूमी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल
वफ़ात : आप हज़रत फ़रीदुद्दीन गंज शकर की ख़िदमत में उन्नीस मर्तबा हाज़िर हुए, आप हर
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
सूफ़ी कहानी
एक शहर को आग लगनी हज़रत-ए-उ’मर के ज़माने में- दफ़्तर-ए-अव्वल
हज़रत-ए-उ’मरऊ के ज़माना-ए-ख़िलाफ़त में एक शहर को आग लगी। वो इस बला की आग थी कि
रूमी
सूफ़ी शब्दावली
कुजा तुम, कुजा वो ज़ात-ए-मुक़द्दस। तुम मह्दूद वो ला-मह्दूद। तुम हर बात की क़ुदरत नहीं रखते
सूफ़ी लेख
तरीक़ा-ए-सुहरवर्दी की तहक़ीक़-मीर अंसर अ’ली
उस ख़ानदान में ये सिलसिला क़ादरिया के नाम से मश्हूर है और शजरा में शैख़ अबुल-ख़ुबैब