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महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
जैसै नायक नायिका इनहूँ कै आभास।जेहि इनकी सी रीति तें औरों कहैं प्रवास।।1135।।
रसलीन
सूफ़ी कहावत
क़द्र-ए-बाबा आँ ज़माँ दानी कि खुद बाबा शवी
जब ख़ुद इंसान पिता के पद पर पहुँचता है तब उसको अपने पिता के महत्व का आभास होता है
वाचिक परंपरा
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सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
नाहिंन मोर बकत पिक दादुर, ग्वाल-मंडली खगन खेलावति।। सूर को वचन-रचना की चतुराई और शब्दों की क्रीड़ा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
केसरिया कुँवर केसरिया कुँवर गोगाजी का आत्मीय पुत्र होना चाहिये। उसकी पूजा गोगा नवमी से पूर्व दिन
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
आप शैख़ कबीर के बेटे और ख़लीफ़ा थे. आप ईश्वर की इटबादत में अपने आप को
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
राष्ट्रीय जीवन में सूरदास, श्री शान्ता कुमार
सूरदास ने श्रद्धा और भक्ति को लोकधर्म और युगधर्म के उपादान के रूप में माना है।
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
ज़फ़राबाद की सूफ़ी परंपरा
मख़्दूम चिराग़-ए-हिन्द के रौज़े के पास ही उसकी क़ब्र है .फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ की सूफ़ियों में
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
अल्बेरूनी -प्रोफ़ेसर मुहम्मद हबीब
अल्बेरूनी का ज्योतिष संबंधी कार्य, मध्ययुग के मुसल्मानों के, इस विषय के ज्ञान का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
जायसी के माता-पितारही जायसी के माता-पिता की बात, उनके विषय में यह निश्चित रूप से नहीं
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी ‘तुराब’ के कान्ह कुँवर (अमृतरस की समीक्षा)
तुराब के कई पद एसे भी हैं जिनमें हिन्दी भक्ति काव्य की निर्गुण ज्ञानाश्रयी धारा के
बलराम शुक्ल
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
जा तन की झॉई परै स्याम हरित दुति होय।।1।।टीका- आसीर्वादत्मक मंगलाचरन है। यामैं देवरति भाव ध्वनि।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
मूलरूप में यह एक धार्मिक काव्य-ग्रन्थ है, जिसमें गुरु नानक के चरित्र को पौराणिक रूप देकर
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की दूसरी क़िस्त
इस प्रकार मनुष्य में से चार प्रकार के स्वभाव पाये जाते हैं। इन्हीं का आगे विशेष
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
ख्व़ाजा ग़ुलाम फ़रीद अपनी तरह के एक अलबेले सूफ़ी थे. कहते हैं कि ख्व़ाजा साहेब के
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
मानव ने परम ज्योति परब्रह्म के दर्शन नहीं किए परन्तु उसके गुणगान की परम्परा प्राचीन- बड़ी